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नई दिल्ली : दुनियाभर में मौजूद हथियारों के जखीरे में भले ही कमी देखी जा रही हो पर बीते १२ महीनों में परमाणु युद्ध का खतरा काफी बढ़ गया है। कुछ हद तक इसके लिए अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। दरअसल, एक नई रिसर्च में दावा किया गया है कि संख्या में भले ही दुनिया के परमाणु हथियारों में कमी आई हो लेकिन तबाही लाने वाले परमाणु युद्ध का खतरा कम होने की बजाय बढ़ गया है।
थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (एघ्झ्Rघ्) ने रिसर्च में पाया है कि दुनिया के ९ परमाणु संपन्न देशों के पास २०१८ में १३,८६५ हथियार थे जबकि एक साल पहले इनकी संख्या १४,४६५ थी। हालांकि रिसर्चरों का कहना है कि अमेरिका और ईरान के बीच जिस तरह से तनाव बढ़ रहा है, उससे दुनिया में परमाणु युद्ध का खतरा पैदा हो गया है। एक वैज्ञानिक ने बताया कि वैâसे परमाणु संपन्न देश संख्या बढ़ाने की बजाय अब अपने हथियारों की क्षमता को लेकर ज्यादा फिक्रमंद है। एघ्झ्Rघ् के असोसिएट सीनियर फेलो हांस एम. क्रिसटेंसन ने कहा, ‘यह नई तरीके की आर्म्स रेस है। इसमें हथियारों की संख्या नहीं बल्कि टेक्नॉलजीज पर फोकस है।’ रिपोर्ट के मुताबिक २०१८ में रूस, अमेरिका और यूके ने अपने हथियारों की संख्या में कमी की है जबकि चीन, पाकिस्तान, इजरायल और नॉर्थ कोरिया ने अपने शस्त्रागारों में १० से २० हथियार बढ़ा लिए हैं। वहीं, प्रâांस और हिंदुस्थान अपने भंडार को क्रमश: ३०० और १४० पर बरकरार रखे हुए हैं।
‘मेल ऑनलाइन’ की रिपोर्ट के मुताबिक विकसित और परमाणु हथियारों को लेकर ज्यादा सक्रिय देश अब अपने शस्त्रागारों को आधुनिक बनाने का प्रयास कर रहे हैं। क्रिसटेंसन ने कहा, ‘अब उन्होंने टैक्टिकल वॉर पर ध्यान देना शुरू किया है। न्यूक्लियर वॉरहेड्स रखने से डिटेरेंस की क्लासिक स्ट्रैटिजी अब मान्य नहीं लग रही।’
बताया जा रहा है कि रूस ऐसा हथियार विकसित करने में जुटा है जो अमेरिका की ऐंटी-मिसाइल शील्ड को भेद सकता है। वहीं अमेरिका रूस को जवाब देने के लिए कम दूरी के नए टैक्टिकल हथियार विकसित कर रहा है।
ईरान के साथ अप्रसार संधि से अमेरिका के बाहर निकलने के बाद दुनिया के सामने परमाणु युद्ध का खतरा बन गया है। इस बीच, ईरान २७ जून को यूरेनियम संवर्धन की सीमा को पार कर जाएगा। इन हालात को वैश्विक शांति के लिहाज से अच्छा नहीं कहा जा सकता है।
इस बीच, ईरान की परमाणु एजेंसी के प्रवक्ता ने कल कहा कि तेहरान वैश्विक शक्तियों के साथ उसके परमाणु समझौते द्वारा तय यूरेनियम भंडारण सीमा को अगले कुछ दिनों में तोड़ देगा। प्रवक्ता ने चेताया कि ईरान को २० प्रतिशत तक संवर्धित यूरेनियम की जरूरत है जो हथियार बनाने से एक कदम पहले का स्तर है। पिछले सप्ताह तेल टैंकरों पर हमले भी हुए हैं। अमेरिका ने हमले के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया है और ईरान ने किसी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है।


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