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नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में अमित शाह को गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है। दिल्ली में केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों मिलकर शासन व्यवस्था चलाते हैं। ऐसे में दो परस्पर विरोधी राजनीतिक दलों के नेता अमित शाह और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच दिल्ली का विकास कार्य कैसे आगे बढ़ेगा, इस पर सब की नजर है। लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर जमकर हमला बोला था।
गोवा में अरविंद केजरीवाल ने यहां तक कह दिया था कि अगर नरेंद्र मोदी फिर प्रधानमंत्री बनते हैं, तो अमित शाह गृहमंत्री बनेंगे, फिर देशभर में मॉब लिंचिंग होगी। इतना ही नहीं, दिल्ली में वोटिंग से दो दिन पहले 10 मई को केजरीवाल ने कहा था कि देशवासियों, वोट देते वक्त सोचना। अगर मोदी जी दोबारा आ गए तो अमित शाह गृह मंत्री होंगे। जिस देश का गृह मंत्री अमित शाह हो, उस देश का क्या होगा, ये सोच के वोट डालना। सीएम के बयान पर शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री और फरीदाबाद से बीजेपी सांसद कृष्णपाल गुर्जर ने तंज कसा। उन्होंने ट्विटर पर इस ट्वीट को कोट करते हुए लिखा, 'जनता को देश के भले के लिए वोट डालने के लिए प्रेरित करने के लिए धन्यवाद।'

शाह-केजरीवाल के बीच शिष्टाचार भेंट कब
शनिवार को अमित शाह गृह मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे हैं। दिल्ली में सर्विस मैटर, पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और भूमि से जुड़े मसले उपराज्यपाल के अधीन हैं, जो केंद्र को रिपोर्ट करते हैं। ऐसे में, अमित शाह और अरविंद केजरीवाल के बीच शिष्टाचार भेंट कब होगी, यह फिलहाल तय नहीं। 2014 में जब राजनाथ सिंह को गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली थी, तब अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने उनसे जाकर शिष्टाचार भेंट की थी। दिल्ली में बेहतर शासन व्यवस्था के लिए केंद्र और राज्य सरकार में अच्छा तालमेल होना जरूरी है।


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