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मानव संसाधन विकास मंत्रालय को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने सिलेबस में भारतीय शिक्षा प्रणाली को शामिल करने जैसी सिफारिशें लागू करने का ड्राफ्ट सौंप दिया. इस ड्राफ्ट में राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का गठन और निजी स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने पर रोक लगाने जैसी सिफारिशें शामिल हैं.

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार लोकसभा के सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने शुक्रवार को ही मानव संसाधन विकास मंत्री का कार्यभार संभाला और कमेटी ने तैयार ड्राफ्ट उन्हें सौंप दिया. पॉलिसी के ड्राफ्ट में कहा गया है कि ज्ञान में भारतीय योगदान और ऐतिहासिक संदर्भ को जहां भी प्रासंगिक होगा, मौजूदा स्कूली सिलेबस और टेक्स्ट-बुक्स में शामिल किया जाएगा.

प्राइवेट स्कूलों को फीस तय करने की आजादी

नई पॉलिसी के ड्राफ्ट में सुझाव दिया गया है कि निजी स्कूलों को अपनी फीस तय करने के लिए आजाद किया जाए, लेकिन वे इसमें मनमाने तरीके से इजाफा नहीं कर सकें, इसके लिए कई सुझाव दिए गए हैं. समिति ने जोर दिया है कि शिक्षा और पढ़ने-पढाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय किया जाना चाहिए.

साथ ही इसमें कहा गया कि गणित, एस्ट्रोनॉमी, फ‍िलॉसफी, मनोविज्ञान, योग, आर्किटेक्चर, औषधि के साथ ही शासन, शासन विधि, समाज में भारत के योगदान को शामिल किया जाए.

ड्राफ्ट में कहा गया है कि नियमित आधार पर देश में शिक्षा के दृष्टिकोण को विकसित करने, मूल्यांकन करने और संशोधन करने के लिए एक नई शीर्ष संस्था राष्ट्रीय शिक्षा आयोग या एनईसी का गठन किया जाए.

बता दें कि मौजूदा शिक्षा नीति 1986 में तैयार हुई थी और 1992 में इसमें संशोधन हुआ. नई शिक्षा नीति 2014 के आम चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी के घोषणा-पत्र का हिस्सा थी.

विशेषज्ञों ने पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली एक समिति की रिपोर्ट का भी संज्ञान लिया. इसरो के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली कमेटी में गणितज्ञ मंजुल भार्गव सहित आठ सदस्य थे. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस समिति को बनाया था, उस समय स्मृति ईरानी मंत्रालय का प्रभार संभाल रही थीं.


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