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मुंबई, घोंघा का म्यूकस काफी फायदेमंद होता है और इसका इस्तेमाल कैंसर रोधी दवाओं और सूक्ष्मरोधी दवाओं के साथ ही पानी में जहरीले तत्वों का पता लगाने में किया जा सकता है। यह जानकारी शोधकर्ताओं ने दी है। घोंघा का म्यूकस सामान्य तौर पर कृषि के लिए फायदेमंद माना जाता है। यह अध्ययन हाल में ‘नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ में छपा है। शोधकर्ताओं ने बृहद अप्रâीकी घोंघा के म्यूकस पर शोध किया। इसे एचाटिना फुलिका के नाम से भी जाना जाता है।
पुणे के जुन्नर में श्री शिव छत्रपति कॉलेज के जीव विज्ञान एवं शोध केंद्र के प्रमुख और शोधकर्ता प्रोफेसर डॉ. आर. डी. चौधरी ने कहा कि एचाटिना फुलिका दिखने में सुंदर घोंघा होता है, जिसे भारत में ‘गंभीर कृषि पेस्ट’ का दर्जा हासिल है।
यह शोध सावित्री बाई फुले पुणे विश्वविद्यालय, सेंटर फॉर मैटेरियल्स फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी (सी-मेट) पुणे, दक्षिण कोरिया के सूवोन में नैनोपार्टिकल्स टेक्नोलॉजी लैबोरेट्री, स्कूल ऑफ मैकेनिकल इंजीनियरिंग, सुंगक्यूनक्वान विश्वविद्यालय और सऊदी अरब के किंग सऊद विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ फिजिक्स एंड एस्ट्रोनॉमी कॉलेज ऑफ साइंस के साथ मिलकर किया गया। चौधरी ने बताया, ‘एचाटिना फुलिका अपने पैर से एक चिपचिपा द्रव पदार्थ छोड़ता है। म्यूकस घोंघा के पूरे जीवन चक्र में कई तरह के कार्य संपादित करता है।’
अप्रâीका में उगाए जाने वाले घोंघे की सबसे महत्वपूर्ण प्रजातियों में से एक विशाल अप्रâीकी घोंघा है, जिसे वैज्ञानिक नाम (अर्चचेटिना मार्जिन्टा) कहा जाता है। घोंघा कई स्वास्थ्य स्थितियों के लिए फिट बैठता है, जैसे कि मधुमेह, हृदय रोग और जिसमें दिल का दौरा, उच्च रक्तचाप और स्ट्रोक शामिल हैं।



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