Latest News

मुंबई,   केंद्र सरकार की अक्षम नीतियों से देश में इस त्योहारी सीजन में त्राहिमाम मचना तय है। पेट्रोलियम उत्पादों, सीएनजी, पीएनजी के आसमान छूते दामों के बीच कोयले के अपर्याप्त भंडारण से अब बिजली संकट का खतरा भी मंडरा रहा है। इस संकटकाल में महंगाई जहां कमर तोड़ रही है, वहीं कारोना के दौर में मर्यादित आमदनी से लोग निराश हैं। केंद्र सरकार ने मानो तय कर लिया है कि संकट काल में भी वह जनता के बोझ को कम नहीं करेगी, चाहे उसका दम ही क्यों न निकल जाए।
घरेलू सिलेंडर एक बार फिर महंगा हो गया है। दिल्ली-मुंबई में नॉन-सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमत ८८४.५० रुपए से अब ८९९.५० रुपए हो गई है। इससे पहले १ अक्टूबर को केवल १९ किलो वाले कमर्शियल सिलेंडरों के दाम बढ़ाए गए थे। १ सितंबर को गैर-सब्सिडी वाले सिलेंडर के दाम में २५ रुपए की बढ़ोतरी की गई थी। पिछले एक साल में घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत ३०५.५० रुपए बढ़ चुकी है, जबकि अब सब्सिडी भी नहीं आ रही है।
तमाम स्रोतों से आ रही पुख्ता खबरों के अनुसार देश में इस त्योहारी सीजन में बिजली संकट पैदा होने की संभावना है। दरअसल, देश में कोयला संकट बढ़ता जा रहा है और खानों से दूर स्थित ६४ बिजली संयंत्रों के पास ४ दिन से भी कम का कोयला भंडार बचा है। केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) की बिजली संयंत्रों के लिए कोयला भंडार पर ताजा रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि २५ ऐसे बिजली संयंत्रों में ३ अक्टूबर को ७ दिन से भी कम समय का कोयला भंडार था। बता दें कि सीईए १३५ बिजली संयंत्रों में कोयले के भंडार की निगरानी करता है, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता दैनिक आधार पर १६५ गीगावॉट है। कुल मिलाकर ३ अक्टूबर को १३५ संयंत्रों में कुल ७८,०९,२०० टन कोयले का भंडार था और यह ४ दिन के लिए पर्याप्त है। रिपोर्ट में बताया गया कि १३५ संयंत्रों में से किसी के भी पास ८ या ज्यादा दिनों का कोयले का भंडार नहीं था।

Weather Forecast

Advertisement

Live Cricket Score

Stock Market | Sensex

Advertisement