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मुंबई, बलात्कार की घटनाएं जिस रफ्तार से बढ़ रही हैं, अदालतें उसी रफ्तार से बलात्कारियों के भाग्य का पैâसला कर रही हैं। बर्बर बलात्कारियों को देश की अदालतें उसी तरह सख्त-से-सख्त सजा देकर न्यायपालिका में लोगों के विश्वास को जिंदा रखने का प्रयास कर रही हैं। बीते करीब एक पखवाड़े में करीब डेढ़ दर्जन दुष्कर्मियों को फांसी, उम्रकेद या फिर १५ से २५ साल तक की सजा मिलना इसका प्रमाण है। करीब १३ महीने पहले बुलंदशहर में हुई ८ साल की बच्ची की रेप के बाद हत्या के एक मामले में एक विशेष अदालत ने इसी महीने की ३ तारीख को दोषी को फांसी की सजा सुनाई थी। इसी तरह नई दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में हुई ९ साल की बच्ची की श्मशान में गैंगरेप के बाद हत्या कर दी थी। पुलिस ने इस मामले में ३८ दिन में १८७ पेज की चार्जशीट दायर करके एक नजीर पेश की थी। अब छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में साढ़े तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई और सभी बलात्कारियों को ये संदेश दे दिया कि उनकी जगह सलाखों के पीछे और मंजिल फांसी का फंदा है। उन्हें बिल्कुल भी बख्शा नहीं जाएगा।
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में बच्ची से दुष्कर्म और हत्या मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने २४ वर्षीय आरोपी शेखर कोर्राम को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई है। जिले में संभवत: यह पहला मामला है, जब किसी को मौत की सजा सुनाई गई हो।
एक साल पहले यह सनसनीखेज घटना राजनांदगांव के कोतवाली क्षेत्र में चिखली स्थित कांकेतरा गांव में घटी थी। २२ अगस्त, २०२० को वहां एक मासूम बच्ची से दुष्कर्म का मामला सामने आया था। २२ अगस्त, २०२० को बच्ची लापता हो गई थी। परिवारवालों ने चिखली पुलिस थाने में गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया था। पुलिस ने जब छानबीन की, तो पता चला कि घर से करीब १०० मीटर दूर रहनेवाले पड़ोसी शेखर कोर्राम को उसके साथ देखा गया था। इसके बाद पुलिस ने शेखर को संदिग्ध मानकर उसके घर दबिश दी। तलाशी के दौरान वहां पलंग और दीवार के बीच बच्ची का शव बरामद हुआ।

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