महाराष्ट्र को मिले कम टीके , टीके के बंटवारे में केंद्र की दोहरी नीति
मुंबई, तीसरी लहर की पृष्ठभूमि पर बड़ी संख्या में स्वास्थ्य कर्मी और प्रâंटलाइन वर्कर्स वैक्सीन की दूसरी खुराक की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसे देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र से तीन करोड़ टीके की मांग की है। लेकिन केंद्र सरकार टीके के बंटवारे में दोहरी नीति अपना रही है। केंद्र की भाजपा सरकार अपने शासित राज्य उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों पर मेहरबान होकर वहां बड़ी मात्रा में वैक्सीन की आपूर्ति कर उन पर रहम कर रही है, और गैर भाजपा शासित राज्य केरल और महाराष्ट्र पर सितम ढा रही है यानी मांग के अनुसार उन्हें वैक्äसीन की आपूर्ति कम कर रही हैं। इस बात को लेकर विशेषज्ञों ने तीव्र नाराजगी व्यक्त की है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुख्य सचिव सीताराम कुंटे और अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) डॉ. प्रदीप व्यास के साथ २६ अगस्त को बैठक हुई थी। बैठक में राज्य के सक्रिय मरीजों की संख्या व टीकाकरण क्षमता की जानकारी देते हुए राज्य के लिए ३ करोड़ टीकों की जरूरत बताई गई थी। केंद्र सरकार ने केवल दो करोड़ वैक्सीन की आपूर्ति का वादा किया है।
इससे पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने भी केंद्र से राज्य के लिए अतिरिक्त वैक्सीन की मांग की थी। उत्तर प्रदेश और गुजरात को भरपूर टीके दिए गए हैं, लेकिन महाराष्ट्र के संबंध में कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया है।
पिछले कुछ दिनों से राज्य में रोजाना नौ से ११ लाख वैक्सीन की डोज दी जा रही है। राज्य में ४,५०० केंद्रों के माध्यम से रोजाना १५ से २० लाख वैक्सीन देने की क्षमता है जबकि रोजाना दो से तीन हजार टीकाकरण केंद्रों पर ही वैक्सीन दी जा रही है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि कई जगहों पर टीकाकरण केंद्रों को बंद करना पड़ा है क्योंकि वे मुख्य रूप से केंद्र से वैक्सीन की आपूर्ति पर निर्भर हैं।
महाराष्ट्र में अब तक ५ करोड़ ९० लाख ६६ हजार लोगों को टीका लगाया जा चुका है और दूसरी खुराक लेनेवालों की संख्या मात्र १ करोड़ ५९ लाख ९७ हजार ३१७ है। कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए जरूरी है कि स्वास्थ्यकर्मियों और प्रâंटलाइन वर्करों को वैक्सीन की दूसरी खुराक मिले। इस वर्ग को तत्काल दूसरी खुराक की आवश्यकता है। कोविड टास्क फोर्स के डॉक्टरों के अनुसार, राज्य में वैक्सीन की दूसरी खुराक प्राप्त करने वालों में से दो प्रतिशत लोगों में कोरोना पाया गया, जिनमें कई डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी शामिल हैं।