आवास विभाग द्वारा लिए गए निर्णयों का परिणाम, रिकॉर्ड राजस्व जमा!
मुंबई, राज्य सरकार की २० अगस्त २०१९ की अधिसूचना के अनुसार अति निम्न, निम्न और मध्यम आय वर्ग (ईडब्ल्यूएस, एलआईजी और एमआईजी) संस्थानों के लिए प्रीमियम लेवी में ५०प्रतिशत और २५प्रतिशत और विकास उपकर (७ प्रतिशत) की कमी की गई है। क्रमश: इसे १९.०८.२०२१ तक लागू किया गया था। साथ ही सरकार के १४ जनवरी २०२१ के निर्णय के अनुसार ३१ दिसंबर २०२१ तक सीधे जमा की जाने वाली प्रीमियम राशि पर ५०प्रतिशत की छूट दी गई है। इन दोनों कारणों से महाडा मुंबई बोर्ड को रिकॉर्ड राजस्व जमा किया गया है और यह पिछले डेढ़ साल में आवास विभाग द्वारा लिए गए निर्णयों का परिणाम है। यह जानकारी गृह निर्माण मंत्री जितेंद्र आव्हाड ने कल अपने सरकारी आवास पर संवाददाता सम्मेलन में दी।
सरकार की ०३ जुलाई २०१७ की अधिसूचना के अनुसार सहकारी आवास समितियों को आवास स्टॉक शेयर सिद्धांत के बजाय प्रीमियम आधारित सिद्धांत के आधार पर म्हाडा कॉलोनी में भवनों के पुनर्विकास का विकल्प दिया गया है। तदनुसार, जुलाई २०१७ से २० अगस्त २०१९ तक, यानी लगभग २५ महीनों में, १०६ नई परियोजनाओं को देकारपत्र (निविदा पत्र) दिया गया है और इससे म्हाडा मुंबई बोर्ड द्वारा ५८५ करोड़ रुपए का प्रीमियम जमा किया गया है। इसकी तुलना में २१ अगस्त २०१९ से १३ जनवरी २०२१ (५० फीसदी प्रीमियम) के १७ महीनों में ६७ नई परियोजनाओं के लिए टेंडर जारी किए गए और ३३५ करोड़ रुपए की आमदनी हुई।
३५५ सहकारी आवास समितियों के लगभग ८ हजार ५२० मूल सदस्यों का पुनर्वसन किया जा चुका है और ४५ वर्ग मीटर विभिन्न म्हाडा कॉलोनियों में लगभग १४,००० कारपेट एरिया बिक्री स्टॉल उपलब्ध होंगे। १४ जनवरी, २०२१ के सरकारी निर्णय के अनुसार, इन १४,००० बिक्री स्टॉलों के स्टैंप शुल्क का खरीदार द्वारा भुगतान किए बिना डेवलपर द्वारा किया जाना है। इन १४,००० बिक्री ब्लॉकों के लिए प्रत्येक की अनुमानित लागत ७५ लाख रुपए मानते हुए, राज्य सरकार को ५२५ करोड़ रुपए प्राप्त होंगे। नतीजतन, निर्माण उद्योग फ्लैटों की बिक्री और खरीद के माध्यम से गति मिलेगी।
अगले २-३ वर्षों में लगभग २५,००० घर उपलब्ध होंगे, निर्माण उद्योग के विभिन्न वर्गों को रोजगार उपलब्ध होगा। जैसे-जैसे भवनों के मूल सदस्यों को १०० से १५० फीट अधिक के क्षेत्र वाले घर मिलेंगे, उनके जीवन स्तर में वृद्धि होगी। कई सदस्यों को समय पर अपने घरों का कब्जा नहीं मिल पाया क्योंकि रुकी हुई पुनर्विकास परियोजनाओं की लागत आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं थी। इन संस्थाओं के विकासकर्ताओं द्वारा योजना का लाभ लेने से परियोजना की वित्तीय व्यवहार्यता में सुधार हुआ है और सदस्यों को समय पर मकानों का कब्जा मिलेगा।
गृह निर्माण मंत्री डॉ. जितेंद्र आव्हाड ने भी स्लम पुनर्वसन योजनाओं की वर्तमान स्थिति की जानकारी दी। वर्ष २०१९-२० में ८ हजार ६०२ फ्लैट, वर्ष २०२०-२१ में १३ हजार ८७५ फ्लैट और अप्रैल २०२१ के बाद अब तक ५ हजार ६८५ फ्लैटों को अधिभोग प्रमाण पत्र दिया गया है और ९२ हजार लोगों को इसका लाभ मिला है। म्हाडा और स्लम पुनर्वसन अथॉरिटी जिस तेजी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, उससे भी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को काफी फायदा हुआ है, ऐसा आव्हाड ने कहा।