अब बढ़ रहा बेल्स पॉल्सी का खतरा! मुंबई में मिले कई मरीज
मुंबई : कोरोना से ठीक स्वस्थ होने के बाद भी मरीजों का इससे
पीछा नहीं छूट रहा है। म्यूकरमायकोसिस के बाद अब बेल्स पॉल्सी (चेहरे पर
लकवा) का खतरा बढ़ गया है। पहली लहर दौड़ के मुकाबले दूसरी लहर में इसके
ज्यादा मरीज मिल रहे हैं।
कोरोना से पहले इस तरह के मामले ठंड के मौसम
में पाए जाते थे, लेकिन कोरोना आने से यह संख्या बढ़ गई है। पहली लहर में तो
महीनेभर में विभिन्न अस्पतालों के डॉक्टर एक से दो मामले देखते थे, लेकिन
अब सप्ताह में ही दो से तीन मरीज न्यूरोलॉजिस्ट देख रहे हैं।
मुंबई के
रहने वाले 55 वर्षीय सुजीत मिश्रा (नाम बदला हुआ) बीते 24 अप्रैल को कोरोना
से संक्रमित हुए थे और उपचार से वे ठीक भी हो गए थे। इतना ही नहीं, कोरोना
कवच के रूप में उन्होंने कोरोना वैक्सीन का पहला टीका भी 31 जुलाई को
लगाया था। वैक्सीन लगाने के दूसरे दिन ही उक्त व्यक्ति का चेहरा उसके
परिवार ने लकवा ग्रस्त पाया।
परिजन ने बिना देर किए उन्हें मुंबई
सेंट्रल के वॉकहार्ट अस्पताल में भर्ती कराया। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. प्रशांत
मखीजा ने बताया कि जब मरीज से पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि पानी पीने और
खाने में काफी परेशानी होती है। गरारा करते समय मुंह से पानी खुद ही निकल
जाता है। डॉ. मखीजा के अनुसार हमें यह समझ मे आ गया कि उक्त व्यक्ति बेल
पाल्सी का शिकार हुआ है। उन्होंने बताया कि वायरल इन्फेक्शन होंनेवाली इस
बीमारी का शिकार कोरोना मरीज हो रहे हैं।
कई मामले तो ऐसे भी उनके सामने
जिसमें मरीजों को यह तक पता नहीं था उन्हें कोरोना छूकर चला गया है।
ऐंटिबॉडीज टेस्ट के दौरान इनके कोरोना संक्रमित होने का खुलासा हुआ है।
पहली लहर में भी उन्हें बेल पाल्सी के मामले मिले थे, लेकिन दूसरी लहर में
पोस्ट कोविड में इन मामलों में इजाफा हुआ है।
नानावटी अस्पताल के
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अनिल वेंकीटाचालम ने बताया कि पहली लहर के मुकाबले दूसरी
लहर में बेल पाल्सी के ज्यादा मरीज मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि महीने
में पहले एक या दो मरीज मिलते थे, लेकिन अब तो यह ग्राफ बढ़ गया है। कभी
कभार तो सप्ताह में 5 से 6 मरीज मिल रहे है, हालांकि इससे घबराने की जरूरत
नहीं है, लेकिन मरीजों को सतर्क रहना जरूरी है।