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महाराष्ट्र : महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। देशमुख को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। देशमुख की ओर से दाखिल याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। देशमुख ने सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने की याचिका दाखिल की थी। इस मामले के लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानूनी प्रावधानों के तहत ही कानूनी उपाय किया जा सकता है। 

अनिल देशमुख ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग कानून की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज आपराधिक मामले में किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के साथ उनके बेटे को प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कई बार समन भेजकर तलब किया था. समन महाराष्ट्र पुलिस प्रतिष्ठान में 100 करोड़ रुपये की कथित रिश्वत-सह-जबरन वसूली रैकेट के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत दर्ज आपराधिक मामले में जारी किए गए थे, जिसके चलते अप्रैल में देशमुख को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. 

साथ ही देशमुख के मुंबई और नागपुर स्थित परिसरों पर छापेमारी की गई थी. उनके सहयोगियों और रिश्तेदारों के घरों पर भी छापेमारी हुई थी. जिसके बाद उनके दो सहयोगियों, निजी सचिव संजीव पलांडे और निजी सहायक कुंदन शिंदे को गिरफ्तार भी किया गया था. इससे पूर्व, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने देशमुख पर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया था, जिसके आधार पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था. इसी के बाद ईडी ने देशमुख और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था. ईडी अनिल देशमुख और उनके परिवार की 4.20 करोड़ रुपये की संपत्ति भी कुर्क की थी. 

ईडी ने दावा किया था कि जांच में सामने आया है कि देशमुख ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री रहते हुए बेईमानी के इरादे से विभिन्न ऑर्केस्ट्रा बार मालिकों से मुंबई पुलिस के तत्कालीन सहायक पुलिस निरीक्षक (निलंबित) सचिन वाजे के जरिये 4.70 करोड़ रुपये की अवैध रकम नकद प्राप्त की. हालांकि अनिल देशमुख ने इन मामलों में गड़बड़ी से इनकार किया है.


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