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मीरा रोड, मीरा-भायंदर के पूर्व भाजपा विधायक नरेंद्र मेहता के खिलाफ एक के बाद एक एफआईआर दर्ज हो रही है। सेवन इलेवन क्लब के कई मामलों के अलावा यूएलसी घोटाले में घिरे मेहता के खिलाफ एक बिल्डर की शिकायत पर काशीमीरा पुलिस ने गत मंगलवार को ४२० समेत आईपीसी की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया है।
मिली जानकारी के अनुसार, शिकायतकर्ता बिल्डर जय चंद्रप्रकाश शुक्ला के अनुसार उन्होंने वर्ष २०१८ में मीरा रोड के घोड़बंदर, सर्वे क्र. २० हिस्सा नं. ५ व ७ में ४,२०० वर्गमीटर जमीन जो हातिम नियाजीवाला व उसके भागीदार मुस्तअली इब्राहिम सिधपुरवाला की कंपनी राज बिल्डर्स एंड डेवलपर्स के नाम पर है, उसे डेवलप करने के लिए लिया था। इसके बदले में शुक्ला ने २ करोड़ ४९ लाख रुपए विभिन्न बैंकों के मार्फत भुगतान किया है। इसके अलावा शुक्ला ने ३ करोड़ रुपए कई लोगों से निवेश भी कराया है। शुक्ला ने जमीन के मालिकों से सौदे का एग्रीमेंट किया, लेकिन जब रजिस्ट्रेशन की बात आई तो वे लोग टालमटोल करने लगे। शुक्ला के कई बार प्रयास करने के बावजूद जब विक्रेता रजिस्ट्रेशन करने के लिए तैयार नहीं हुआ तो उन्होंने इस बात की शिकायत मीरा रोड पुलिस स्टेशन में की। लेकिन मीरा रोड पुलिस ने मामले को लंबे समय तक लटकाए रखा। इस दौरान ६ जनवरी, २०२१ को नरेंद्र मेहता ने फोन कर शुक्ला को अपने कार्यालय मे बुलाया और इस प्रकरण में समझौता करने का दबाव डाला। मेहता ने कहा कि मामला सेटल कर लो, नहीं तो कुछ भी नहीं मिलेगा। इस पर शुक्ला ने कहा कि वे आरएसएस के कार्यकर्ता हैं, आप भाजपा के नेता हो तो उनकी मदद करो। इस पर झल्लाकर मेहता ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस बोलेंगे तो ही इस मामले से पीछे हटूंगा।
इसके बाद शुक्ला, मेहता के कार्यालय से वापस चले आए और लगातार मीरा रोड पुलिस से न्याय की गुहार लगाते रहे, लेकिन पुलिस लगातार इस मामले को नजरअंदाज करती रही। इसी बीच शुक्ला को भनक लगी कि मेहता इसी जमीन की रजिस्ट्री करानेवाले हैं, तो शुक्ला को बहुत बड़ा झटका लगा और उन्होंने ठाणे दीवानी न्यायालय में स्टे के लिए अपील दाखिल कर दी। वहां से फैसला आता, इससे पहले ही नरेंद्र मेहता की सेवन इलेवन कंपनी के नाम उक्त भूखंड की रजिस्ट्री कर दी गई। इसके पूर्व मेहता के करीबी प्रशांत केलुसकर कुछ लोगों को फर्जी सर्वेयर बताकर संबंधित प्लॉट पर घुसे, जिन्हें बड़ी मशक्कत के बाद शुक्ला ने बाहर निकाला, जिसकी शिकायत पुलिस में की गई थी।
एक ही प्लॉट को दो बार बेचे जाने और समझौता करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का नाम लेकर दबाव बनाने की शिकायत लेकर जय शुक्ला ६ महीने से तमाम पुलिस अधिकारियों के यहां चक्कर लगाते रहे, लेकिन पुलिस द्वारा उनकी अनदेखी की गई। आखिरकार, शुक्ला ने पुलिस आयुक्त सदानंद दाते से न्याय की गुहार लगाई। आयुक्त ने मीरा रोड की बजाय काशीमीरा पुलिस को जांच करने का निर्देश दिया। काशीमीरा पुलिस की जांच में शिकायत की पुष्टि हो जाने पर काशीमीरा के प्रभारी पुलिस निरीक्षक संजय हजारे ने धोखाधड़ी के इस मामले में नरेंद्र मेहता समेत अन्य ७ लोगों पर मामला दर्ज किया है।


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