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मुंबई : शहर में कोरोना नियंत्रण में आ रहा है, लेकिन एहतियात के तौर पर मुंबई मनपा यहां अभी भी तीसरे स्तर की पाबंदियां बरकरार रखे हुए है। उधर पड़ोसी ठाणे, नई मुंबई में प्रतिबंध हटने के कारण, मुंबई के नागरिक विभिन्न वस्तुओं को खरीदने के लिए वहां जा रहे हैं। ऐसे में अन्य शहरों की तुलना में मुंबई से भेदभाव क्यों किया जा रहा है? यह सवाल व्यापारियों के संघों ने ठाकरे सरकार से पूछा है। राज्य सरकार द्वारा कोरोना को लेकर जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार कोरोना के प्रसार पर अंकुश लगाया जा रहा है। दरअसल, मुंबई पिछले हफ्ते से पहले चरण में शामिल हो गया है, लेकिन मुंबई के नागरिकों की भीड़भाड़ को देखते हुए मनपा ने एहतियात के तौर पर मुंबई को तीसरे चरण में रखा है। इसलिए मुंबई पर अब भी प्रतिबंधों की तलवार लटकी हुई है। राज्य सरकार ने मुंबई से सटे नई मुंबई, ठाणे में कोरोना प्रकोप के बाद इन शहरों को पहले और दूसरे चरण में रखकर प्रतिबंधों में ढील दी है। हालांकि अभी मुंबई इससे आजाद नहीं हुआ है। फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने राज्य सरकार पर शहरों के बीच भेदभाव करने का आरोप लगाया है। पॉजिटिविटी रेट और ऑक्सीजन बेड की उपलब्धता के आधार पर मुंबई पहले या दूसरे लेवल में आ गई है। हालांकि, कोरोना के खतरे को देखते हुए मनपा ने मुंबई को तीसरे चरण में रखा है। पड़ोसी शहरों में पाबंदियों से वहां कारोबार को बढ़ावा मिला है। मुंबई के कारोबारी भी वहां जाना चाह रहे हैं। मुंबई में शाम 4 बजे के बाद दुकानें और होटल बंद हो रहे हैं, जिससे कारोबारियों को भारी नुकसान हो रहा है। राज्य सरकार अन्य शहरों की तुलना में मुंबई के प्रति पक्षपातपूर्ण रुख अपना रही है। इसके चलते मुंबई में कारोबार ठप हो गया है। इस संबंध में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए और व्यापार संघों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए, इस तरह की मांग असोसिएशन ने की है।


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