कालाबाजारी के 225 सिलेंडर, पुलिस ने किया जब्त
मुंबई : कोरोना महामारी के दौरान एक तरह जहां कोरोना मरीजों की मेडिकल ऑक्सीजन की कमी की वजह से मौत हो रही है, वहीं, दूसरी ओर कुछ लोग आपदा में अवसर ढूंढते हुए ऑक्सीजन सिलेंडरों की कालाबाजारी करने में जुटे हुए हैं. ताजा मामला बिहार के कटिहार जिले का है, जहां रविवार की देर रात रेलवे स्टेशन के वीआईपी गेट के पास से दो मालवाहक गाड़ी से सील पैक स्थिति में 6 किलो के कुल 225 ऑक्सीजन सिलेंडर बरामद किए गए हैं.
सिलेंडरों की पेकिंग पर रेलवे द्वारा अंकित टैग से ये स्पष्ट हुआ कि सभी सिलेंडर महाराष्ट्र के लोकमान्य तिलक से ट्रेन के माध्मम से कटिहार मंगवाए गए थे. सिलेंडर लावारिश अवस्था में स्टेशन के वीआईपी गेट के बाहर वाहनों में पड़े हुए थे. ना वहां वाहन चालक मौजूद थे और ना ही कोई रिसीवर. ऐसे में जब सिलेंडरों पर बजरंग दल के सदस्यों की नजर पड़ी तो उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी.
सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और सिलेंडरों को जब्त कर आगे की जांच में जुट गई. प्रशासन ने सिलेंडरों की कालाबजारी की बात स्वीकारते हुए कहा कि इतने बड़ी संख्या में मेडिकल ऑक्सीजन की सिलेंडरों को न तो कटिहार रेल ने मंगवाया है और न ही किसी सरकारी अस्पताल ने, ऐसे में सिलेंडर यहां कैसे आए ये जांच का विषय है. सूत्रों की मानें तो पटना और कटिहार में न्यूज पोर्टल चलाने वाले ललित अग्रवाल ने सिलेंडर मंगवाए हैं. मालूम हो कि पहले भी पटना के एसके पूरी थाना क्षेत्र स्थित इसी पोर्टल के दफ्तर से पुलिस ने 60 सिलेंडर जब्त किए थे. वहीं, एक रिपोर्टर की गिरफ्तारी भी हुई थी. इसके बाद वे कटिहार के गुटखा व्यापारी अजय गुप्ता के साथ मिलकर फिर से इस गोरखधंधे में लगे हुए थे. इस मामले दो एनजीओ अपना भारत सेवा संस्थान और लायंस क्लब के नाम पर अवैध रूप से सिलेंडर मंगाए जाने की बात सामने आ रही है. वहीं रेलवे के दो कमर्शियल क्लर्क के निलंबन की सूचना सूत्र दे रहे हैं.
कटिहार के एसडीपीओ अमरकांत झा ने कहा कि सूचना मिली थी कि लोकमान्य तिलक से बड़ी संख्या में मेडिकल ऑक्सीजन के सिलेंडर कटिहार मंगाए गए हैं. इसी आधार पर कार्रवाई की और सिलेंडरों को जब्त कर लिया गया. अब आगे की जांच चल रही है. वहीं, कटिहार अनुमंडल पदाधिकारी शंकर शरण ओमी ने बताया कि फिलहाल पूरे मामले की जांच की जा रही है. इतनी बड़ी संख्या में सिलेंडर की किसने मंगवाई इसकी जांच की जा रही है. चूंकि, इतना तो साफ है कि रेलवे या सरकारी हॉस्पिटल ने सिलेंडर नहीं मंगवाए हैं.