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मुंबई : महाराष्ट्र में उल्हासनगर महानगर पालिका पिछले कई साल से आर्थिक घाटे में चल रही है। इस वर्ष भी प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने में मनपा प्रशासन पीछे रह गया है। संपत्तिधारकों पर 10 फरवरी तक कुल 557 करोड़ प्रॉपर्टी टैक्स बकाया था। इसमें से मनपा ने केवल 37 करोड़ रुपये का ही टैक्स वसूल किया है। संपत्ति कर की वसूली न हो पाने से टैक्स विभाग के कर्मचारियों पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है, जबकि निधि न होने से शहर का विकास भी बाधित हो रहा है। बता दें कि मनपा के पास प्रॉपर्टी टैक्स ही आय का जरिया है। टैक्स वसूली न होने से आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। मनपा के पास कर्मचारियों को पगार देने के लिए भी निधि उपलब्ध नहीं होती। मनपा के पूर्व आयुक्त ने फंड के अभाव के चलते नगरसेवकों के वार्ड में चल रहे कई विकास कार्यों को भी रोक दिया था। इस साल टैक्स की वसूली नहीं हो पाई है, तो शहर के विकास कार्य के बाधित होने की संभावना बढ़ गई है। मनपा आयुक्त डॉ राजा दयानिधि अगले एक महीने में कितना राजस्व वसूली कर पाते हैं, इस पर निगाहें टिकी हैं।

उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2019-20 में मनपा ने 77 करोड़ रुपये की कर वसूली की थी। पिछले 5 साल में उल्हासनगर मनपा प्रशासन घर टैक्स की वसूली के लिए 15 बार अभय योजना शुरू कर चुका है। लेकिन संपत्तिधारकों की ओर से कोई भी प्रतिसाद नहीं मिला। नगरसेवकों ने एक बार फिर से अभय योजना शुरू करने की सलाह दी है। आगामी 17 फरवरी की महासभा में इस संदर्भ में एक प्रस्ताव रखा जाएगा।

हाउस टैक्स विभाग के अधिकारी मदन सोडे का कहना है कि कोरोना की वजह से हम कर वसूली नहीं कर पाए हैं। अधिकारी ज्यादा से ज्यादा कर वसूली का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन इस साल भी मनपा के कर्मचारियों ने प्रशासन को निराश किया है। मनपा के जनसंपर्क अधिकारी युवराज बदाने का कहना है कि इस बारे में आयुक्त फैसला करेंगे। टैक्स वसूली प्रक्रिया में लापरवाही बरतने पर जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 

उल्हासनगर मनपा के आयुक्त डॉ़ राजा दयानिधि पत्रकारों से मिलने में आज भी कतराते हैं। लगभग सात महीने से ज्यादा हो गया उनको मनपा का कार्यभार संभालते हुए, लेकिन एक बार भी वे पत्रकारों से नहीं मिले। पत्रकारों का कहना है कि एमएमआर डिविजन में उल्हासनगर में कोरोना के सबसे कम मरीज पाए गए, रिकवरी भी सबसे ज्यादा है। लेकिन इसके बाद भी आयुक्त को पत्रकारों से मिलने में परहेज है। सभी नेताओं, नगरसेवकों व समाज सेवकों से आयुक्त मिलते हैं, लेकिन अगर कोई पत्रकार फोन करे, तो वह फोन भी नहीं उठाते। कोरोना काल में उन्होंने फरमान जारी किया था कि जिसे भी न्यूज को लेकर कोई बयान लेना हो, वह जनसंपर्क अधिकारी डॉ़ युवराज भदाने से मिल सकता है।


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