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मुम्बई : महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्रियों ने रविवार को बेलगाम के मराठी-भाषियों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए काली पट्टियां बांधी जो एक नवंबर को कर्नाटक के स्थापना दिवस को ‘काला दिवस’ के रूप में मनाते हैं। महाराष्ट्र बेलगाम पर दावा करता है जो पूर्व बंबई प्रेसीडेंसी का हिस्सा था लेकिन फिलहाल भाषाई आधार पर वह कर्नाटक का जिला है। बेलगाम और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों को लेकर दोनों राज्यों के बीच का विवाद कई सालों से उच्चतम न्यायालय में लंबित है। महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री और प्रदेश राकांपा (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) अध्यक्ष जयंत पाटिल ने अपना सरकारी कामकाज करते हुए बांह पर काली पट्टी बांध रखी थी। शहरी विकास मंत्री और शिवसेना सेना एकनाथ शिंदे ने ठाणे जिले में काले गुब्बारे आसमान में छोड़े। पाटिल ने कहा कि राकांपा कार्यकर्ताओं और राज्य सरकार के मंत्रियों ने सीमावर्ती क्षेत्रों के भाइयों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए बांह पर काली पट्टियां बांध रखी है। उन्होंने कहा, ‘‘ उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित रहने के बावजूद कर्नाटक द्वारा मराठी भाषियों पर अत्याचार जारी है।’’ उन्होंने उम्मीद जतायी कि बेलगाम और अन्य मराठी भाषी क्षेत्र महाराष्ट्र का हिस्सा बनेंगे। एकनाथ शिंदे और मंत्री छगन भुजबल ने कर्नाटक के मराठी भाषियों को लिखे पत्र में कहा है कि महाराष्ट्र सरकार बेलगाम, कारवार, निपानी, बीदर और अन्य मराठी भाषी क्षेत्रों के लेागों की शिक्षा, सामाजिक न्याय, मराठी भाषा के संरक्षण एवं अन्य मुद्दों के प्रति कटिबद्ध है। इन दोनों मंत्रियों को पिछले साल सीमा विवाद से जुड़े मामले के तीव्र निस्तारण के सरकार के प्रयासों की निगरानी के लिए महाराष्ट्र सराकर ने सह संयोजक नियुक्त किया था। शिवसेना सांसद संजय राउत ने संवाददाताओं से कहा कि कर्नाटक के मराठी-भाषी क्षेत्रों का महाराष्ट्र में विलय की मांग दोनों राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों के अधिकारों की लड़ाई है। इससे पहले कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी ने कहा था कि जबतक सूरज और चांद रहेगा, बेलगाम कर्नाटक का हिस्सा रहेगा।

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