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नवी मुंबई : खारघर के मदरहूड हॉस्पिटल की एक ऐसी घिनौने कारनामे का मामला सामने आया है जिसने सबको हैरान कर दिया है. मामला एक पुलिसकर्मी के बच्चे से जुड़ा है. जिसकी मौत के बाद भी मदरहूड हास्पिटल ने सिर्फ इसलिए शव देने से मना कर दिया क्योंकि हॉस्पिटल का पूरा बिल नहीं भरा गया था. यह घटना खारघर के मदरहूड हास्पिटल की घटिया नीयत और लोगों को कैसे लूटा जाता है इसका सबूत देती है. 

हास्पिटल ने पुलिस दंपत्ति की सीजरिंग डीलीवरी के लिए 3 दिनों में डेढ़ लाख का बिल बनाया. 50 हजार का एक्स्ट्रा चार्ज लगाया, जिसमें से दंपत्ति ने 75 हजार पेमेंट भी कर दिया. इसके बावजूद हास्पिटल नवजात की जिन्दगी नहीं बचा सका. और तो और यहां तक कह दिया कि बाकी पेंमेंट के बाद ही बच्चे का शव दिया जाएगा. पुलिस दंपत्ति ने बहुत गुहार लगाई, दूसरे साथी पुलिस कर्मियों ने भी अपील की लेकिन अस्पताल संचालकों का मन नहीं पसीजा.

मामला पनवेल संघर्ष समिति के कांतिलाल कड़ू के पास पहुंचा, जिनकी मदद से खारघर पुलिस से हस्तक्षेप की मांग की. सीनीयर पुलिस इन्स्पेक्टर प्रदीप तिदार ने इस मामले में खुद पहल की और बच्चे के शव को माता-पिता को सुपुर्द कराया. इस दंपत्ति को 12 साल बाद बच्चा हुआ था. इस नवजात की मौत को लेकर भी मदरहूड हास्पिटल पर सवाल उठ रहे हैं. इन आरोपों पर हास्पिटल से संपर्क करने पर कोई भी बोलने का तैयार नहीं हुआ. 


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