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मुंबई : कोरोना संकट के दौरान ड्यूटी करते हुए जान गंवाने वाले बीएमसी कर्मचारियों के परिजन को 50 लाख रुपये की आर्थिक रकम मिलने में परेशानी हो रही है। इस कारण अब तक सिर्फ 6 कर्मचारियों को ही यह रकम मिल सकी है, जबकि 132 बीएमसीकर्मियों की जान कोरोना से जा चुकी है। इसी तरह, अब तक 2,600 से अधिक कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, इसलिए बीएमसी ने केंद्र सरकार से जारी गाइडलाइन में सुधार के लिए प्रस्ताव भेजा है, जिससे सभी को इसका लाभ मिल सके। वहीं, बीएमसी कर्मचारी संगठनों ने इस पर नाराजगी जताई है।

बता दें कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, बीएमसी कमिश्नर आईएस चहल ने घोषणा की थी कि कोरोना के कारण मृत कर्मचारियों के परिजन को 50 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी। लेकिन, कई शर्तों के कारण मृत कर्मचारियों एवं अधिकारियों के परिजन को मदद का लाभ नहीं मिल पाया है। बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि कोरोना से कर्मचारियों की मृत्यु के बाद परिजन को 50 लाख रुपये के बीमा का लाभ दिलाने के लिए कागजात भेजकर सिफारिश की जाती है। यह दावा एक इंश्योरेंस कंपनी में भेजा जाता है। यह प्रक्रिया बीएमसी के सामान्य प्रशासन विभाग के बीमा कार्यालय द्वारा की जाती है। लेकिन, कंपनी की शर्त के अनुसार जो कर्मचारी 16 दिन पहले से कोरोना ड्यूटी पर है, ऐसे कर्मचारी की मृत्यु पर ही बीमा का लाभ मिलेगा। इस शर्त से ड्यूटी करते हुए जान गंवाने वाले बीएमसी कर्मचारियों के परिजन को बीमा की रकम मिलने में परेशानी हो रही है। बीएमसी के डॉक्टर, नर्स, वॉर्ड बॉय सहित अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों को आवश्यक सेवा में माना जाता है, जबकि कोरोना के दौरान सभी विभागों के कर्मचारी आवश्यक सेवा में लगे हैं। इसमें पानी आपूर्ति, घनकचरा सहित साफ-सफाई विभाग के कर्मचारी शामिल हैं। कोरोना से मृतकों में सबसे अधिक संख्या चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की है, इसलिए बड़ी संख्या में लोग आर्थिक मदद से वंचित हो रहे हैं।

म्युनिसिपल मजदूर यूनियन के सचिव प्रदीप नारकर ने कहा कि शर्त के कारण कई मृत कर्मचारियों के दावे वापस कर दिए गए, इसलिए प्रशासन को नियम में बदलाव कर परिजन को कैसे बीमा का लाभ मिले, इस पर निर्णय लेना चाहिए। ऐसा नहीं हुआ, तो हम सड़क पर उतर कर आंदोलन करेंगे। बीएमसी की प्रमुख कर्मचारी अधिकारी संध्या व्हटकर ने कहा कि केंद्र सरकार के परिपत्रक के अनुसार, कोरोना संक्रमित कर्मचारियों के परिजन को 50 लाख की मदद दी जाती है। विभाग में आए प्रस्ताव को बीमा कंपनी के पास भेजा जाता है। उसमें कोई कमी रहती है, तो दोबारा वह बीएमसी के पास आता है, उसे सुधार कर दोबारा भेजा जाता है। बीएमसी के स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के साथ आवश्यक सेवा के तहत अन्य कर्मचारी भी कोरोना के खिलाफ जंग में काम पर लगे हैं। इसकी जानकारी केंद्र सरकार को देकर इस संबंध में ध्यान आकर्षित किया गया है। इस पर आगे की कार्रवाई जारी है।


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