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नई दिल्‍ली : कोरोना वायरस महामारी ने लाखों-करोड़ों भारतीयों के सपने चकनाचूर कर दिए हैं। भारत की अर्थव्‍यवस्‍था जो तेजी से आगे बढ़ रही थी, औंधे मुंह गिरी है। दसियों लाख लोग गरीबी से बाहर आ रहे थे, मेगासिटीज खड़े किए जा रहे थे, भारत की ताकत बढ़ रही थी और वह एक आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर था। मगर देशभर में जिस तरह के आर्थिक हालात बने हैं, उससे चिंता कई गुना बढ़ गई है। भारत की अर्थव्‍यवस्‍था किसी और देश के मुकाबले तेजी से सिकुड़ी है। न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स में छपी रिपोर्ट के अनुसार, कुछ अनुमान कहते हैं कि करीब दो करोड़ लोग फिर से गरीबी में जा सकते हैं। ज्‍यादातर एक्‍सपर्ट्स इस नुकसान का ठीकरा लॉकडाउन पर फोड़ रहे हैं।

देश की अर्थव्‍यवस्‍था का क्‍या हाल है, इसे आप सूरत की टेक्‍सटाइल मिलों में देख सकते हैं। जिन फैक्ट्रियों को खड़ा करने में पीढ़‍ियां लग गईं, वहां अब उत्‍पादन पहले के मुकाबले 1/10 रह गया है। वहां के उन हजारों परिवारों के लटके हुए चेहरों में भारत की दशा दिखेगी जो साड़‍ियों को फिनिशिंग टच देते थे, मगर अब सब्जियां और दूध बेचने पर मजबूर हैं। मोबाइल फोन की दुकानें हों या कोई और स्‍टोर, सन्‍नाटा पसरा है। पिछली तिमाही में भारत की अर्थव्‍यवस्‍था 24% तक सिकुड़ गई जबकि चीन फिर से ग्रो कर रहा है। अर्थशास्‍त्री तो यहां तक कहते हैं कि भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्था (अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी के बाद) होने का गौरव भी गंवा सकता है।

एक्‍सपर्ट कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लॉकडाउन सख्‍त तो था मगर उसमें कई खामियां थीं। इससे अर्थव्‍यवस्‍था को नुकसान तो पहुंचा ही, वायरस भी तेजी से फैला। भारत में अब कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और रोज 80 हजार से ज्‍यादा नए केस आ रहे हैं। देश की आर्थिक स्थिति पहले से ही डांवाडोल चल रही थी। चीन ने बॉर्डर पर तनातनी कर रखी है। मशहूर लेख‍िका अरुंधति रॉय ने न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स से बातचीत में कहा, "इंजन खराब हो चुका है। सर्वाइव करने की काबिलियत खत्‍म कर दी गई है। और उसके टुकड़े हवा में उछाल दिए गए हैं, आपको नहीं पता कि वे कब और कैसे गिरेंगे।"

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