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सिंध  : गरीबी और बदतर हालात से जूझ रहे पाकिस्तान के हिंदुओं ने अब इस्लाम कबूल करना शुरू कर दिया है। नए तरीकों का पालन करते हुए अब वे एक ईश्वर की प्रार्थना करना सीख रहे हैं। अरबी की आयतें पढ़कर इस्लाम कबूल करते ही पुरुषों का खतना होता है। ऐसे दर्जनों परिवार हैं पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बादिन जिले में जो हिंदू धर्म छोड़ रहे हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे अत्याचार और भेदभाव का मुद्दा कई बार उठाया जा चुका है। धर्म परिवर्तन के ऐसे वीडियो क्लिप सामने के बाद एक बार फिर हालात की गंभीरता खुलकर सामने आई है। बड़ी संख्या में सामूहिक धर्म परिवर्तन होने के ऐसे मामले बढ़ते जा रहे हैं। हालांकि, कई बार लोग अपनी मर्जी से भी ऐसा करते हैं लेकिन इसके पीछे भी आमतौर पर बड़ी मजबूरी छिपी होती है। 

हर जगह भेदभाव से परेशान 

पाकिस्तान में हिंदुओं को संस्थागत भेदभाव का सामना करना पड़ता है। घर खरीदने से लेकर नौकरी पाने तक, यहां तक कि सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाने तक के लिए उन्हें कहीं ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती है। अब वे धर्म परिवर्तन कर बहुसंख्यकों में शामिल होने को ही समाधान मानने लगे हैं ताकि अत्याचार और हिंसा से बच सकें। हिंदू नेताओं का कहना है कि आर्थिक हालात भी उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करते हैं। 

नौकरी, जमीन का लालच 

जून में सावन भील मोहम्मद असलम शेख बन गए। उनका कहना है कि ये लोग समाज में जगह बनाना चाहते हैं और कुछ नहीं। वह कहते हैं कि हिंदू समाज के ज्यादातर गरीब लोग धर्म परिवर्तन कर लेते हैं। ये कार्यक्रम कराने वाले मुस्लिम मौलाना और चैरिटी ग्रुप लोगों को आस्था, कभी नौकरी या जमीन जैसे लालच देकर धर्म परिवर्तन के लिए मनाते हैं। 

सबसे ज्यादा प्रभावित 

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस की वजह से बुरे हालात में है जिससे देश के सबसे गरीब अल्पसंख्यक तबके पर बुरा असर पड़ रहा है। आशंका है कि देश में 1.8 करोड़ लोगों की नौकरी जा सकती है। शेख चाहते हैं कि उन्हें अमीर मुस्लिम परिवारों और चैरिटी से मदद मिल जाए। वह इस बात को गलत भी नहीं मानते और उनका कहना है कि हर कोई अपने समुदाय की मदद करता है। उनका कहना है कि देश में दूसरे हिंदुओं की मदद करने के लिए अब हिंदू बचे ही नहीं हैं। 




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