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SC से मांग की गई है कि फीस न देने के कारण बच्चों को स्कूल से न निकाला जाए क्योंकि कोरोना महामारी के चलते हुए लाकडाउन में बहुत से अभिभावक फीस देने में असमर्थ हो गए हैं।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आठ राज्यों के अभिभावकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर लाकडाउन के दौरान निजी स्कूलों की तीन महीने की (एक अप्रैल से जून तक की) फीस माफ करने और नियमित स्कूल शुरू होने तक फीस रेगुलेट किये जाने की मांग की है। यह भी मांग है कि फीस न देने के कारण बच्चों को स्कूल से न निकाला जाए क्योंकि कोरोना महामारी के चलते हुए राष्ट्रव्यापी लाकडाउन में रोजगार बंद होने से बहुत से अभिभावक फीस देने में असमर्थ हो गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि वह याचिका में प्रतिवादी बनाए गए आठो राज्यों राजस्थान, ओडिशा, गुजरात, पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश को या फिर सभी राज्यों को इस बारे में आदेश दे। विभिन्न राज्यों के रहने वाले कुल दस अभिवावकों की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि वे लोग जीवन और शिक्षा के मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए मिल कर सुप्रीम कोर्ट आए कोरोना महामारी के चलते स्कूलों में पढ़ रहे बारहवीं तक के छात्रों के बहुत से अभिवावकों की फीस देने की आथिर्क क्षमता नही रही है उन्हें बच्चों को स्कूल से निकालने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
 

याचिका में कहा गया कि अभी बोर्ड के नतीजे नहीं आए हैं,बच्चे ये नहीं जानते कि उन्हें किस स्ट्रीम में जाना है। बच्चों के पास किताबें और स्टेशनरी नहीं हैं इसलिए वे पढ़ाई के दौरान संदर्भ नहीं समझ पाते। बहुतों के पास लैपटाप , स्मार्ट फोन नहीं है। जिन घरों में दो या ज्यादा बच्चे हैं उन्हें ऐसे ज्यादा उपकरण चाहिए होते हैं। नेटवर्क चला जाता है। पढ़ाई का कोई प्रभावी तंत्र नहीं है।


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