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नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख की गलवान वैली में चीन की ओर से लगातार की जा रहीं अनैतिक हरकतों के जवाब में भारत को भी एक सीमित सैन्य कार्रवाई का विकल्प तलाशना चाहिए। हालांकि यह एक शीर्ष राजनीतिक फैसला होना चाहिए। सुरक्षाबलों से जुड़े कुछ अधिकारियों का ऐसा कहना है। सूत्रों ने कहा कि सैन्य कार्रवाई का विकल्प पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिकों की ओर से भारतीय क्षेत्र में जबरन दखल दिए जाने को लेकर है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ 1999 के करगिल की तरह भारत को राजनीतिक, कूटनीतिक और आर्थिक तौर पर उपाय खोजने चाहिए। 

सूत्रों ने कहा कि निश्चित रूप से चीन पाकिस्तान जैसा नहीं है, लेकिन फिर भी भारतीय सशस्त्र बल चीन को सबक सिखाने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा, 'कोई भी पूर्ण-युद्ध या संघर्ष की बात नहीं कर रहा है, लेकिन चीन को यह बताने की जरूरत है कि भारत सैन्य क्षमता या किसी अन्य मामले में पीछे नहीं है। आपको बता दें कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के करीब 800 जवानों ने सोमवार को गलवान वैली में भारतीय जवानों पर हमला किया था। इस हमले में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक फैली 3488 किमी लंबी एलएसी पर भारत ने सेना की तैनाती बढ़ा दी है। सूत्रों ने कहा कि पीएलए अब सिक्किम और अरुणाचल में भी पैर पसारने की कोशिश कर सकती है, जो कि ठीक नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सीमित सैन्य कार्रवाई पर अंतिम निर्णय सभी भू-राजनीतिक और अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक नेतृत्व द्वारा लिया जाना है। 

भारत लगातार सैटेलाइट्स, ड्रोन्स और पी-8आई जैसे लंबी दूरी के नेवेल एयरक्राफ्ट्स तैनात कर रहा है। रडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिक सेंसर से लैस ये सर्विलांस प्लैटफॉर्म्स एलएसी पर पीएलए की तैनाती को ट्रैक करने में पूरी तरह से सक्षम हैं। तिब्बत के गरगांसा, होटन, काशगर, गोंगर और कोरला जैसे चीनी एयरबेसों की भी नियमित रूप से निगरानी की जा रही है। 


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