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  कोरोना की दवा तैयार करने में डेढ़ महीने से ज्यादा वक़्त तक डॉ यादव ने रिसर्च किया है। डॉक्‍टर यादव ने ब्रोमियम यानि ब्रोमीन गैस, क्लोरम यानी क्लोरीन और ओजना यानी प्रकृति को फिल्टर करने वाला ओजन की परत या यूं कहें O3, इन तीनों होम्योपैथिक की दवाई को और मनुष्य के व्यवहार को आपस में मिलाकर रिसर्च किया गया है।

शरीर के अलग-अलग अंगों और लक्षणों के आधार पर इन तीनों दवाओं को मरीज को अलग-अलग दिया जाता है। तीनों ही दवा कोरोना की उसी तरह से काट बनती है, जैसा जहर को जहर मारता है। डॉक्‍टर अजय यादव के अनुसार ब्रोमियम दवाई ओवर हीटेड होती है और तनाव में काम करने वाले कोरोना वारियर्स को क्लोरीन दवाई से जो साईड इफेक्ट आता है, उसे क्लोरम से इम्युनिटी को बढ़ाकर ठीक किया जा सकता है। ये दवा शरीर में प्रवेश करने के साथ ही एचओबीआर और एचओसीएल बनाकर कोरोना वायरस को नष्ट करता है। यादव का दावा यह भी है कि होम्योपैथिक दवाईयां मुनष्य के व्यवहार व उसकी प्रृकृति पर निर्भर करता है, ऐसे में ये कारगर साबित होंगी।

डॉक्‍टर यादव के इस काम को राजस्थान के वरिष्ठ IAS अधिकारी प्रदीप कुमार बुरड भी आगे बढ़ने का पक्षधर है। उनका कहना है कि महज 7 दिन के अंदर मरीज के सही होने का प्रमाण उन्होंने भी देखा है और इसी कारण से अपने अनुभव के जरिये इसे सरकार को भी बता दिया है। अब सरकार ने WHO को सूचित किया है ताकि इस पर आगे जो भी कागजी काम हो उनको पूरा किया जा सके।

बहरहाल डॉक्‍टर अजय ने मिस्त्री ऑफ़ कोरोना नाम से एक किताब में अपने इस अनुभव को छपवाकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दी है ताकि सरकार होम्योपैथीक विधि के जरिये कोरोना को ख़त्म करने की कोशिशो को आगे बढाए। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि जबतक कोई अधिकारिक वैक्सिन बाज़ार में नहीं आ जाती, तबतक इन्हीं तरीकों को अपनाकर कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकना होगा।

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