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भिवंडी : कृषि के बाद देश में सबसे अधिक रोजगार उपलब्ध करने वाला पावर लूम उद्योग इन दिनों गंभीर संकट का सामना कर रहा है। पावर लूम उद्योग बंद पड़े हैं, बावजूद इसके महाराष्ट्र बिजली नियामक आयोग (एमईआरसी) ने औसत बिजली बिल भेज दिए हैं। लाॅकडाउन के चलते इस बार मीटर रीडिंग नहीं ली गई। एमईआरसी द्वारा बिल भरने के लिए जारी किए गए परिपत्र से पावर लूम मालिकों की नींद उड़ गई है। पावर लूम संगठनों सहित पावर लूम मालिकों ने एमईआरसी के उस परिपत्र का कड़ा विरोध करते हुए इसे तुरंत रद्द करने की मांग की है। वहीं स्थानीय सांसद कपिल पाटील, भाजपा विधायक महेश चैघुले, सपा विधायक रईस शेख एवं पूर्व विधायक रुपेश म्हात्रे सहित पावर लूम मालिकों ने सरकार से लॉकडाउन के कारण कम से कम तीन महीने का बिजली बिल माफ करने का अनुरोध किया है।

गौरतलब है कि केंद्र और राज्य सरकार की अनदेखी के कारण पिछले कई वर्षों से पावर लूम उद्योग भयंकर मंदी के कारण गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रहा था। मंदी के दौरान भी पावर लूम मालिक अपना कारखाने चला रहे थे, जिससे पावर लूम मालिकों के साथ उसमें काम करने वाले मजदूरों के परिवारों का भी पालन-पोषण हो रहा था। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण लॉकडाउन करके कर्फ्यू लगा दिया गया, जिससे सभी पावर लूम कारखाने तथा उससे जुड़े उद्योग पूरी तरह से ठप पड़ गए। मुश्किल के इस दौर में 26 मार्च को एमईआरसी ने एक परिपत्र जारी करके लॉकडाउन के दौरान कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न समस्याओं को लेकर मीटर रीडिंग लेने के बजाय सभी ग्राहकों को औसत बिजली बिल भेजने का निर्देश दिया है, जिसका विरोध किया जा रहा है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से हमने मांग की है कि लॉकडाउन से प्रभावित पावर लूम उद्योग और 300 यूनिट से कम बिजली का उपयोग करने वाले आम उपभोक्ताओं का 3 महीने का बिजली बिल माफ कर दिया जाए।

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