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नागपुर: परीक्षा रद्द किये जाने और छुट्टी घोषित होने के बाद भी सिटी के अनेक निजी स्कूलों में शिक्षकों सहित गैरशिक्षकेत्तर कर्मचारियों की उपस्थिति अनिवार्य रखी गई है. शनिवार को तो इन लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा. हालांकि सुबह के वक्त आटो, बस तो मिल गई, लेकिन शाम के वक्त सब कुछ बंद होने से दिक्कतों का सामना करना पड़ा. स्कूलों की मनमानी पर शिक्षक संगठनों ने भी प्रशासन से कार्यवाही की मांग की है.

छुट्टी दिये जाने के बाद से सिटी में सभी स्कूल शुरू हैं, लेकिन शिक्षकों को परीक्षा सहित अन्य कार्य करने के लिए कहा गया था, लेकिन अब सरकार ने पहली से आठवीं तक परीक्षा रद्द कर दी है, वहीं शनिवार को 23 मार्च को होने वाला 10वीं का पेपर भी रोक दिया गया है. इस हालत में अब शिक्षकों के लिए कुछ काम नहीं रह गया है. वहीं दूसरी ओर नान टीचिंग से विविध कार्य कराए जा रहे हैं. शनिवार को प्रशासन द्वारा जीवनाश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी बंद कराया गया. इसमें आटो, बस वालों का भी समावेश है. स्कूल जाने के लिए निकले कर्मचारी सुबह तो जैसे-तैसे पहुंच गये, लेकिन लौटते वक्त कोई भी साधन नहीं मिलने से परेशानी हुई.

निजी स्कूलों में शिक्षक सहित नान टीचिंग स्टाफ के लिए पृथक व्यवस्था नहीं होती. इस हालत में सभी एक ही जगह बैठते हैं. यही वजह है कि यह स्थिति खतरनाक हो सकती है. इस संबंध में शिक्षक भारती संगठन की ओर से विरोध करते हुए मनमानी करने वाली संबंधित स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की गई है. संगठन के सचिव प्रा. सपन नेहरोत्रा ने बताया कि शिक्षक व कर्मचारियों को स्कूल में उपस्थित रहने की सख्ती न की जाये. कोरोना को परास्त करने की लड़ाई में सभी को सेल्फ कोरेनटाइन की जरूरत है. कोरोना की श्रृंखला को तोड़ने के लिए आवश्यक है कि घर से बाहर ही न निकले. निजी स्कूलों द्वारा की जा रही मनमानी के संबंध में शिक्षा उपसंचालक से शिकायत की जाएगी.


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