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मुंबई, आशुतोष गोवारिकर निर्देशित ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाली फिल्म ह्यपानीपतह्ण महाराष्ट्र में कर मुक्त होगी। फिल्म के निमार्ताओं ने बृहस्पतिवार को यह घोषणा की। अर्जुन कपूर, संजय दत्त और कृति सैनन अभिनीत यह फिल्म 1761 में हुए पानीपत के तीसरे युद्ध पर आधारित है। फिल्म छह दिसंबर, 2019 में रिलीज हुई थी। रिलायंस एंटरटेनमेंट की ओर से जारी बयान के अनुसार, ह्यह्यमहाराष्ट्र में अब ह्यपानीपतह्ण कर मुक्त है।ह्णह्ण गोवारिकर ने राज्य सरकार के इस फैसले को लेकर ट्विटर पर शुक्रिया अदा किया। फिल्मकार ने ट्वीट किया, ह्यह्यदिल से आभार! ह्यपानीपतह्ण के जरिए पर्दे पर मराठा गौरव को लाने के हमारे प्रयास में कर मुक्त का दर्जा देने के लिए शुक्रिया मुख्यमंत्री जी।ह्णह्ण ह्यपानीपतह्ण का निर्माण सुनीता गोवारिकर और रोहित शेलाटकर की कंपनी विजन वर्ल्ड ने किया है।
शताब्दी एक्सप्रेस में मंगलवार को यात्रियों के साथ फूड पॉइजनिंग की घटना ने एक बार फिर रेलवे द्वारा परोसे जाने वाले खाने की पोल खोल दी है। इंडियन रेलवे केटरिंग ऐंड टूरिजम कॉपोर्रेशन (आईआरसीटीसी) द्वारा किसी भी ट्रेन में दी जाने वाली खान-पान सेवा प्राइवेट ठेकेदार की ओर से मिलती है। इसे लेकर आरटीआई के तहत आईआरसीटीसी से सवाल किए गए थे, जवाब में पता चला है कि पिछले 5 सालों में इन प्राइवेट ठेकेदारों के खिलाफ 21 हजार शिकायतें मिली हैं, लेकिन केवल 9 बार सेवा से टर्मिनेट किया गया है।
हैरान करने वाली बात यह है कि शताब्दी एक्सप्रेस में जिस सनशाइन कैटरर्स का नाम सामने आया है, उसे ब्लैक लिस्ट करने की अपील रेलवे की ओर से पहले से ही हुई थी लेकिन आईआरसीटीसी ने तब भी कोई ऐक्शन नहीं लिया।
राजधानी की सबसे ज्यादा शिकायतें
तीन साल पहले आईआरसीटीसी को रेलवे की ओर से खानपान सेवाओं की जिम्मेदारी मिली है और तभी से यात्रियों की ओर से शिकायतें भी बढ़ गई हैं। पांच साल में हुई कुल 21,465 शिकायतों में से 17,444 शिकायतें पिछले 3 सालों में मिली हैं। आईआरसीटीसी को सबसे ज्यादा शिकायतें राजधानी एक्सप्रेस के यात्रियों की ओर से मिली है। पिछले 5 सालों में 4,617 बार राजधानी एक्सप्रेस के यात्रियों की ओर से खानपान सेवा के संबंध में शिकायत की गई है। इसमें भी 2,165 बार खाने की खराब गुणवत्ता को लेकर शिकायत की गई है।
आप शिकायत करो, वे ह्यचेतावनीह्ण देंगे
यात्रियों की ओर से शिकायत दर्ज करने के बाद उम्मीद की जाती है कि आईआरसीटीसी द्वारा कोई ऐक्शन लिया जाएगा, लेकिन ऐसा बहुत कम बार होता है। पिछले 5 सालों में मिली 21,465 शिकायतों में से केवल 6,326 बार ही आईआरसीटीसी ने केस बनाया है। इतना ही नहीं, 6,847 बार तो ठेकेदार को केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया, जबकि 4,371 बार ठेकेदार को सुधार का सुझाव दिया गया। इतनी शिकायतों में से केवल 9 बार ठेकेदार को सेवा से हटाया गया है। आईआरसीटीसी को जबसे खानपान का जिम्मेदारी मिली है, तब से एक भी ठेकेदार को टर्मिनेट नहीं किया गया।
हाल ही में बढ़े थे भाव
खानपान सेवाओं में सुधार के नाम पर हाल ही में रेलवे द्वारा राजधानी, शताब्दी और दुरंतो जैसी ट्रेनों में खानपान के रेट लगभग 40 प्रतिशत बढ़ाई गई थी। एनबीटी ने ही खबर प्रकाशित कर खुलासा किया था कि आईआरसीटीसी बेस किचन के लिए रेलवे से दोगुना पैसा लेती है, जबकि ठेकेदार को आधे ही पैसे मिलते हैं। मसलन, रेलवे से आईआरसीटीसी को खाने के लिए 112 रुपये मिलते हैं, तो इसमें से ठेकेदार को केवल 56 रुपये दिए जाते हैं। ऐसे में ठेकेदार द्वारा किस गुणवत्ता का खाना मिलेगा, कोई भी कयास लगा सकता है।
टर्मिनेट किया गया सनशाइन कैटर्स
शताब्दी एक्सप्रेस में मंगलवार को खराब गुणवत्ता के नाश्ते के कारण 27 यात्रियों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। दबाव बनने के बाद आखिरकार सनशाइन कैटर्स को सर्विस से टर्मिनेट किया गया है।
    

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