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नेपाल : बुआ की नाबालिग बेटी को भगाकर नेपाल ले जाने व दुराचार के मामले में विशेष सत्र न्यायाधीश राजेंद्र सिंह चौहान की अदालत ने आरोपी को विभिन्न धाराओं में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही एक लाख पांच सौ रुपये के अर्थदंड से भी दंडित किया। आरोपी 2018 से ही जेल में है। मामला 29 नवंबर 2017 का है। जिले के एक थाने में पीड़िता के पिता ने एक प्रार्थना पत्र देकर बताया था कि 28 नवंबर 2017 को उनकी बेटी स्कूल गई थी, लेकिन घर नहीं पहुंची। काफी खोज करने पर जब उसका कुछ पता नहीं चला तो पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की तफ्तीश शुरू कर दी।

इस बीच पुलिस को कुछ लोगों ने बताया कि पीड़िता को एक युवक वाहन में बैठाकर गोपेश्वर तक लाया। पुलिस ने जब नाबालिग के माता-पिता से पूछताछ की तो उसके पिता ने बताया कि उनकी बहन का लड़का उनके घर पर आता-जाता रहता था। इस पर पुलिस ने विवेचना शुरू की। पुलिस की ऑपरेशन स्माइल टीम दोनों की तलाशी में जुट गई। खोज के दौरान बनबसा बैराज पुल के समीप पीड़िता को आरोपी के साथ पकड़ा गया। 5 मार्च वर्ष 2018 को पुलिस ने आरोपी को न्यायालय में पेश किया गया जहां से उसे जेल भेज दिया गया। मामले में बुधवार को विशेष न्यायाधीश राजेंद्र सिंह चौहान ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद पोक्सो अधिनियम, अपहरण, डराने, धमकाने, शादी करने के लिए विवश करने के मामले में दोष सिद्ध होने पर अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही एक लाख पांच सौ रुपये के अर्थदंड से दंडित भी किया। सरकार की ओर से मामले की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता मोहन पंत ने की।


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