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ढाई साल की बेटी का अपहरण कर अवैध रूप से दुबई ले जाने वाले पिता की अपील फैमिली कोर्ट ने ठुकरा दी है। उसने खुद को बच्ची का एकमात्र अभिभावक घोषित करने की अपील की थी। कोर्ट ने बच्ची को उसकी मां को सौंप दिया है। कोर्ट ने यह फैसला बच्ची के कल्याण और हित को ध्यान में रखते हुए सुनाया। ढाई वर्षीय बच्ची के पिता ने अदालत में हलफनामा दिया था कि वह बच्ची को दिल्ली से बाहर नहीं ले जाएगा। उसने बच्ची का पासपोर्ट भी अदालत में जमा करा रखा था। बावजूद वह पूर्व नियोजित तरीके से देश से बाहर चला गया। फैमिली कोर्ट की प्रधान न्यायाधीश स्वर्ण कांत शर्मा ने कहा कि बच्चे फूल की तरह होते हैं। उनका हित वे परिजन पूरा नहीं कर सकते, जो कानून की अवहेलना कर बच्ची को मां से दूर भगोड़े के रूप में दूसरे देश में रहने के लिए ले गए हों। अदालत ने हाल ही में एक महीने के भीतर बच्ची को मां के हवाले करने का आदेश सुनाते हुए कहा कि मां को बच्ची का एकमात्र, अनन्य और पूर्ण अभिभावक तथा संरक्षक घोषित करना उसके हित और कल्याण में होगा।
विदेश में भी लगाई गुहार : मामला अदालत में लंबित होने के बावजूद बच्ची का पिता उसे लेकर विदेश चला गया और नाबालिग के संरक्षण के लिए विदेश में एक अन्य मंच का दरवाजा खटखटाया।
पिता बच्ची को लेकर नेपाल से दुबई पहुंचा
जब लड़की पिता के साथ थी, तो वह पश्चिम बंगाल से नेपाल, मस्कट होते हुए दुबई पहुंच गया। महिला ने न्यायालय में अर्जी दाखिल कर बच्ची को पेश करने की अपील की। इसके बाद में पति ने पत्नी के खिलाफ आरोप लगाते हुए न्यायालय में हलफनामा दायर कर दावा किया कि बच्ची के प्रति उसके प्यार ने उसे यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया। परिवार न्यायालय ने बच्ची के पिता की इन दलीलों को खारिज हुए कहा कि यदि उसके मन में बच्ची के प्रति इतना प्यार होता, तो वह उसे गैर-कानूनी तरीके से दूसरे देश में ले जाकर जोखिम में नहीं डालता क्योंकि बच्ची का पासपोर्ट न्यायालय के पास जमा था।

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