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मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने भवन निर्माण कंपनियों के साथ कथित सांठगांठ करने और राज्य के खजाने को 40,000 करोड़ का नुकसान पहुंचाने के लिए बुधवार को महाराष्ट्र गृह निर्माण  व क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति एसके शिंदे की पीठ कमलाकर शेनॉय  की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में दावा किया गया है कि म्हाडा जर्जर हो चुकी पुरानी इमारतों के पुनर्विकास के बाद भवन निर्माण कंपनियों से करीब 1.37 लाख वर्ग  मीटर अतिरिक्त जमीन पर कब्जा पाने में असफल रहा। म्हाडा मुंबई में पुरानी और जीर्ण-शीर्ण इमारतों का रखरखाव भी करता है। इमारतों में रहने वाले लोग म्हाडा को उपकर  (सेस) चुकाते हैं। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि विकास नियंत्रण नियमन 33(7) के तहत पुनर्विकास परियोजना की कोई भी अतिरिक्त जमीन राज्य सरकार की संपत्ति है। शेनॉय ने  आरोप लगाया कि म्हाडा के अधिकारी इस प्रावधान से अवगत थे, लेकिन इन पुरानी इमारतों का पुनर्विकास करने वाले बिल्डरों से अतिरिक्त जमीन वापस लेने में नाकाम रहे। पीठ   ने अपने फैसले में पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को पांच दिन के अंदर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया। अदालत ने राज्य सरकार को अप्रैल 2018 में भ्रष्टाचार रोधी Žयूरो के   एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा लिखे गए पत्र का संज्ञान लिया। पत्र में दावा किया गया था कि इस मामले में म्हाडा के अधिकारियों की भूमिका संदेह से परे नहीं है। अदालत ने कहा   कि एसीबी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि पहली नजर में संज्ञेय अपराध हुआ, लेकिन शहर पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा और एसीबी ने याचिकाकर्ता की शिकायत पर   सुनवाई करने से इंकार कर दिया। अदालत ने कहा कि डेवलपर्स ने अतिरिक्त जमीन की बिक्री खुले बाजार में कर दी ।


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