पहली मंजिल तक पहुंचा बाढ़ का पानी, तो कहीं बह गया पुल
मध्य प्रदेश में भारी बारिश से हाहाकार मचा हुआ है. राज्य के 30 से ज्यादा जिले इससे प्रभावित हैं. प्रदेश के मालवा अंचल में बाढ़ से हालात बेहद खराब हो गए हैं. नीमच, मंदसौर, झाबुआ में हालात बद से बदतर हो गए हैं. नीमच जिले में तो हालात यह हैं कि यहां पहली मंजिल पानी में पूरी डूब चुकी है और पानी दूसरी मंजिल तक बढ़ता जा रहा है.
मध्य प्रदेश में हुई भारी बारिश के बाद नीमच जिले के रामपुरा इलाके में हाहाकार मचा हुआ है. चंबल नदी पर बने गांधीसागर डैम का बैकवॉटर का पानी शहर में घुस गया है जिससे कई कॉलोनी और मुख्य बस स्टैंड पानी में समा गए हैं. गांधी सागर डैम के बैकवॉटर को शहर में घुसने से रोकने के लिए बनाई गई रिंगवॉल का हिस्सा टूट गया था जिससे पानी रामपुरा में घुस गया.
कई गाड़ियां, ट्रक और बस पानी में डूब गए हैं. घरों की दूसरी मंजिल तक बैकवॉटर का पानी पहुंच रहा है. प्रशासन ने मोहल्ले खाली कराना शुरू कर दिए हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है. पूरे शहर में नाव चल रही है. 9 फीट तक पानी में रामपुरा डूबा हुआ है. अस्पताल, दुकानें और रहवासी इलाकों में भूतिया सन्नाटा पसर गया है.
वहीं, मध्य प्रदेश के मंदसौर में बारिश से हाहाकार मचा हुआ है. मन्दसौर से सुवासरा को जोड़ने वाला तुम्बड नदी पर बना पुल बह गया है. प्रशासन ने 117 गांव से 20, 000 लोगों को सुरक्षित बाहर निकालकर सुरक्षित ठिकानों पर भेज दिया है.
एसपी हितेश चौधरी के मुताबिक कुल 1500 पुलिस के जवान, एनडीआरएफ, एसडीईआरएफ को इस काम के लिए तैनात किया गया था. मंदसौर में औसतन 32 इंच बारिश होती है मगर इस साल 77.44 इंच वर्षा हुई है जो मंदसौर के इतिहास में सबसे ज्यादा है. इसके पहले 1944 में मंदसौर में अधिकतम 62 इंच बारिश रिकॉर्ड की गई थी.
मध्यप्रदेश के झाबुआ में भी बारिश कहर बनकर टूट रही है. जिले का थादंला कस्बा आफत की बारिश का सबसे बड़ा शिकार है. थादंला के बाजारों और सड़कों पर जब बाढ़ का पानी घुसा तो स्थानीय व्यापारियों का गुस्सा नगर परिषद पर फूट पड़ा और उन्होंने झील बनी बाजार की सड़कों पर चक्का जाम कर दिया.
थादंला के बाजार और बस्तियों में बाढ़ का पानी घुस चुका है. बाढ़ में पेट के लिए रोटी की जुगाड़ में खड़े ठेले वालों की दुकानें आधी डूबी हुई हैं. कुछ दुकानों में तो चार फीट तक पानी घुस गया है.