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मुंबई। महाराष्ट्र के एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने मंगलवार को चौकाने वाला खुलासा किया है। होम गार्ड्स के महानिदेशक संजय पांडे ने दावा किया कि राजधानी मुंबई की धारावी झुग्गियों में कुछ सूदखोर ऋण या ब्याज नहीं चुकाने पर कुछ वक्त के लिए पैसे लेने वाले लोगों की पत्नियों को अपने पास रख लेते थे।

पांडे ने आशंका जताई है कि यह चलन शायद अब भी चल रहा है। उपनगर बांद्रा में 'मानव तस्करी के विरूद्ध संयुक्त राष्ट्र विश्व दिवस' के मौके पर सेंट एंड्रयूज कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में पांडे ने छात्रों से कहा कि ऐसी चीज़ें मध्य मुंबई में स्थित एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी-झोपड़ी इलाके धारावी में होती थी।उन्होंने कहा कि धारावी में पहले लोगों को 1-2 लाख रुपये उधार देने वाले कई लोग या समूह सक्रिय थे। अगर कर्ज लेने वाला व्यक्ति वक्त पर उधार या ब्याज चुका दिया करता था तो कोई मसला नहीं था, लेकिन कर्ज नहीं चुकाने की सूरत में कर्जदार को उधार या सूद चुकाने तक कुछ दिनों के लिए अपनी पत्नी को सूदखोर को देना होता था।

पांडे ने कहा, '' मैं यह तमिलनाडु, नेपाल या बिहार की बात नहीं कर रहा हूं। यह यहां से महज 1.5 किलोमीटर दूर होता था।'' भारतीय पुलिस सेवा के 1986 बैच के अधिकारी पांडे 1992 में उस क्षेत्र के पुलिस उपायुक्त थे जिसके तहत धारावी का इलाका आता है। उन्होंने छात्रों से कहा, '' मैंने ऐसे चलन पर एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था। दुर्भाग्य से, यह चलन शायद अब भी जारी है।''

पांडे ने कहा कि इस तरह की मानव तस्करी को रोकने के लिए कुछ कानून बनाए गए हैं। यह एक तरह से 'गुलामी' है। श्रीकृष्णा आयोग और बाद में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मुंबई में 1993 में हुए सांप्रदायिक दंगों को नियंत्रित करने के लिए पांडे के काम की तारीफ की थी। इस मौके पर महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने कहा कि गुलामों का व्यापार मानवता के खिलाफ 'अपराध' है और 'हिंसा का सबसे जघन्य रूप' है।

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