MTNL इमारत अग्निकांड: बाल-बाल बचे लोगों की दास्तां, ...जब मौत सामने थी
मुंबई : मुंबई की एमटीएनएल बिल्डिंग में सोमवार दोपहर अचानक आग लगने से अफरा-तफरी मच गई। इस आग में लपटें कम और धुआं अधिक उठ रहा था, जिसकी जद में वहां काम करने वाले करीब 150 लोग आ चुके थे। दमघोंटू धुआं में दो से तीन घंटे तक फंसे रहे इन लोगों को उम्मीद नहीं थी कि वे यहां से जिंदा बच कर जाएंगे। मुंबई अग्निशमन दल के जवानों ने कड़ी मशक्कत के बाद ऊंची-ऊंची सीढ़ियों की मदद से नीचे उतारा, तो खुद को सुरक्षित पाकर इनकी जान में जान आई। मौत के मुंह से निकले कुछ ऐसे ही लोगों ने सुनाई अपनी आपबीती:
धुएं के अंबार में फंसे करीब एक दर्जन लोगों के लिए बड़ी मस्जिद के पास रहने वाले इलियास और रईस फरिश्ते बनकर पहुंचे। दरअसल जब आग लगी थी, तो उस वक्त वहां अग्निशमन दल के जवान नहीं पहुंचे थे। हालांकि, दूसरी मंजिल पर लगी आग की जद में भी काफी लोग आ गए थे, मगर आग से ज्यादा खतरनाक उस मंजिल पर इलेक्ट्रॉनिक सामान जलने से पैदा हुआ जानलेवा धुंआ था। इसकी जद में आए लोगों को बचाने का काम इलियास और रईस ने किया। दोनों सबसे पहले इमारत में प्रवेश कर दूसरी और तीसरी मंजिल पर पहुंचे थे।
आठवीं मंजिल पर सीनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत नयना गागनाइक को उम्मीद ही नहीं थी कि वह काले धुआं के बादल से जिंदा बच कर निकल पाएंगी। नयना ने बताया कि वह आठवीं मंजिल पर रोजाना की तरह काम कर रही थीं। अचानक सीढ़ियों की ओर से भागो-भागो, आग-आग की आवाज सुनाई दी। इसके बाद उन्होंने आव देखा न ताव, ऊपर उधर भागने लगीं, जहां सब भाग रहे थे। ऊपर सवा सौ से अधिक लोग खड़े थे, जिनमें अधिकांशत: महिलाएं ही थीं। धुआं सातवीं मंजिल की ओर से आ रहा था। आग की खबर सुनकर नयना के घरवाले परेशान थे। उनका देवर नीचे खड़े होकर उनकी कुशलता के लिए प्रार्थना कर रहा था।
छाया, कमुद, शुभांगी और स्वाति आपस में दोस्त हैं। कांदिवली की रहने वालीं इन महिलाओं ने बताया कि उन्हें खुद पर यकीन ही नहीं हो रहा है कि वे बच गई हैं। सातवीं मंजिल पर वे लोग जिस काले घने जहरीले धुएं में फंसी थीं, उनका बचना मुश्किल था। मोबाइल के टॉर्च की रोशनी बेजान हो गई थी। हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था। सब एक-दूसरे को नाम से पुकार रहे थे। किसी को कुछ दिख नहीं रहा था। चारों टेरेस की ओर से आ रही आवाज का पीछा कर वहां पहुंचीं।
अग्निशमन दल द्वारा लैडर के जरिए नीचे उतारने के बाद बदहवास हालत में एमटीएनएल परिसर से बाहर निकलीं बोरीवली की दो दोस्त सुहासिनी साठे और प्रियंका मीडिया को देखते ही भागने लगीं। काफी दूर पीछा करने के बाद एसवी रोड पर आकर दोनों ने लंबी सांस ली और इतना ही कहा कि पूर्व जन्म में कुछ अच्छा किया होगा, जो जान बच गई। वरना, धुआं दम घोंट देता। दोनों को लेने उनके रिश्तेदार आए हुए थे।
बोरीवली की चिकूवाडी में रहने वाली सुनित्रा प्रभु उन खुशनसीबों में हैं, जो जहरीले धुएं में तीन घंटे बिताने के बाद सकुशल बच गईं। हालांकि, अफरा-तफरी में सुनित्रा की उंगली में चोट आ गई। ऐम्बुलेंस में उपचार करा रहीं सुनित्रा ने बताया कि वह एमटीएनएल में एडमिन विभाग में काम करती हैं। उनका कार्यालय आठवीं मंजिल पर है। नीचे की मंजिलों से आग लगने की आवाज आई तो वह सबके साथ टेरेस की ओर भागीं, जहां चारों ओर धुआं ही धुआं था।