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मुंबई : देश की आर्थिक राजधानी मुंबई हमेशा आतंकियों का सॉफ्ट टारगेट रही है। मुंबई में २६/११ हमले को अंजाम देनेवाले अजमल कसाब सहित दस आतंकी समुद्र के रास्ते पाकिस्तान से मुंबई एक बोट से पहुंचे थे। ये सारा काम उन्होंने बिना किसी रोक-टोक के किया। जिसके बाद समुद्री निगरानी को मजबूत करने की कवायद नौसेना और कोस्ट गार्ड ने तेज कर दी। भारतीय नौसेना ने समुद्र की निगरानी अब इतनी चौकस कर दी है कि समुद्र के रास्ते महानगरों में आतंक मचाने की मंशा रखनेवाले आतंकियों का मंसूबा समुद्र में ही लॉक हो जाएगा। नौसेना ने ४३ देशों से मिले डाटा के आधार पर इंफार्मेशन फ्यूजन सेंटर सिस्टम तैयार किया है जिससे समुद्र में मौजूद हर जहाज पर नजर रखी जा सकेगी। दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर नौसेना ने इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट एंड एनालिटिक सेंटर (आईमैक) में उक्त सिस्टम शुरू किया है। इससे नौसेना और कोस्टगार्ड के ५१ स्टेशन को जोड़ा गया है। इंफार्मेशन फ्यूजन सेंटर सिस्टम के माध्यम से आईमैक में लगी स्क्रीन समंदर में हो रही हर हरकत दिखाती है। आईमैक की स्क्रीन पर हमारे स्टेशन से मिलनेवाले फीड और दूसरे देशों से मिलनेवाली फीड पर नजर रखी जाती है। हर जहाज का अपना एक नंबर होता है। जहाजों पर लगे एआईएस प्रणाली और वर्ल्ड रजिस्ट्रेशन सिस्टम के जरिए आईमैक में बैठे अधिकारी हर उस समुद्री जहाज पर नजर रख सकते हैं, जो हिंदुस्थान की समुद्री सीमाओं के पास से गुजरता है। कोस्टल सर्विलांस सॉफ्टवेयर के जरिए जहाजों को फिल्टर भी किया जा सकता है। अगर कोई संदिग्ध या आतंकियों का जहाज हिंदुस्थानी समुद्री सीमा में नजर आता है तो आईमैक की मदद से कम वक्त में एजेंसियां सतर्क हो जाएंगी और उस संदिग्ध जहाज पर तुरंत नकेल कस सकेगी। इसका ट्रायल बीते माह हो चुका है जब ३० देशों के विशेषज्ञ आईमैक में मौजूद थे।
हिंद महासागर की सुरक्षा और समंदर की हर हरकत पर नजर रखने के लिए नौसेना ने ४३ देशों के साथ मिलकर इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट एंड एनालिटिक सेंटर (आईमैक) शुरू किया है। समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए आईमैक में स्थापित इंफॉरमेशन फ्यूजन सेंटर सिस्टम (आईएफसी) एक शुरुआत है। इसके बाद समुद्री सुरक्षा के लिए नया जाल स्थापित करने पर सरकार विचार कर रही है। इस नए जाल का नाम नेशनल मेरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (एनएमडीए) परियोजना है। एनएमडीए का दायरा आईमैक से बड़ा होगा। आईमैक के जरिए २० मीटर से ब़ड़े जहाजों को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है तो एनएमडीए, हिंदुस्थानी समुद्री सीमाओं में घूमनेवाली छोटी बोट पर भी नजर रखेगी।
बता दें कि २६/११ आतंकी हमले से सबक लेते हुए रक्षा मंत्रालय ने समुद्री सुरक्षा को लेकर बड़े कदम उठाए हैं। ४५० करोड़ रुपए की लागत से दिल्ली के साउथ ब्लॉक स्थित नौसेना के मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर बने आईमैक सेंटर में आईएफसी स्थापित किया गया है। इसके लिए कोस्टल सर्विलांस सॉफ्टवेयर अमेरिका से खरीदा गया है। इस आईमैक में नौसेना के अलावा दूसरे देशों के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ४३ देशों के डेटा से आईमैक में चंद सेकंड में पता चल जाएगा कि हिंदुस्थानी समुद्री सीमा में कितने जहाज गुजरेंगे। करीब ७६ हजार किलोमीटर की समुद्री सीमाओं में ४६ कोस्टल रडार स्टेशन लगे हैं। जमीन और स्पेस पर कुल ८९ ऑटोमेटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम समुद्र की जांच कर रहे हैं। इनकी पल-पल की निगरानी मुंबई, कोच्चि, विशाखापत्तनम में बने संयुक्त ऑपरेशन सेंटर में होती है। आईमैक में इन सभी स्टेशनों से आ रही जानकारी को मॉनिटर किया जा रहा है। आईमैक में बैठे अधिकारी ४३ देशों से मिले डाटा के आधार पर यह आसानी से देख सकेंगे कि कौन-सा जहाज कहां से आया है और कहां जा रहा है? जहाजों की संदिग्ध हरकत का पता अधिकारियों को फौरन चल सकेगा, जिसे वे अपने घेरे में तुरंत ले सकेंगे। आईमैक के बाद तैयार होनेवाले नए सुरक्षाजाल एनएमडीए को फिलहाल वैâबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी के क्लीयरेंस का इंतजार है। एनएमडीए के बनने पर भी आईमैक उसका मुख्य हिस्सा होगा। एनएमडीए के जरिए होनेवाली छोटी बोटों को ट्रैक करने के लिए ट्रांसपोडर नामक उपकरण लगाया जा रहा है।


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