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खत्म होते ईंधन और पर्यावरण को हो रहे नुकसान को भांपते हुए सरकार काफी तेज गति से इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और चलन पर जोर दे रही है। नीति आयोग ने सरकार को दस साल में इस योजना को अमल में लाने के लिए कहा है। सरकार की इस योजना का कुछ वाहन निर्माता कंपनियां तो विरोध कर ही रही हैं साथ ही सरकार की इस योजना को देखते हुए मुंबई के ऑटो चालक भी ऑटो मोड में चले गए हैं। ऑटो चालकों का कहना है कि जब तक सरकार चार्जिंग स्टेशन की व्यवस्था नहीं करती, तब तक हम तो सीएनजी ऑटो ही खरीदेंगे।

बता दें कि ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने और खत्म होते र्इंधन का पर्याय अब बिजली बननेवाली है। सरकार के थिंकटैंक माने जानेवाले नीति आयोग ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए २०३० के बाद केवल इलेक्ट्रिक कारों को ही बेचने का प्रस्ताव दिया है।

सरकार अब इलेक्ट्रिक वाहनों को जल्द से जल्द सड़क पर उतारने के लिए जोर दे रही है। सरकार की योजनाओं के मुताबिक २०२३ से सड़कों से पेट्रोल और डीजल वाहनों को हटाना शुरू हो जाएगा। वहीं इलेक्ट्रिक वाहन की नीति से ऑटो कंपनियों की नीदें उड़ी हुई हैं लेकिन मुंबई के ऑटो चालक निश्चिंत हैं। स्वाभिमान ऑटो व टैक्सी संग’न के अध्यक्ष केके तिवारी ने कहा ‘सरकार इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर जोर दे रही है, यह अच्छी बात है। पर्यावरण को बचाने के लिए यह अच्छा कदम है लेकिन वास्तव में यह मुमकिन है क्या?’ मुंबई, ‘ाणे सहित नई मुंबई में लगभग १ लाख ३५ हजार से अधिक ऑटोरिक्शा हैं। अब इलेक्ट्रिक रिक्शा तो आ जाएगी पर चार्जिंग स्टेशनों का क्या? एक रिक्शा को चार्ज करने के लिए कितना समय लगेगा? कितनी लंबी कतार लगेगी? यदि आधा घंटे का समय भी लगेगा तो इतनी सारी रिक्शा हैं कि किसका नंबर कब आएगा, यह चार्जिंग स्टेशन कितने बड़े होंगे? कहां होंगे? यदि कोई ऑटो चालक बिल्डिंग में रहता है तो चलो बिल्डिंग में चार्जिंग पॉइंट लगा दिया जाएगा लेकिन ९० प्रतिशत ऑटो चालक तो चाल में रहते हैं, वे कहां चार्ज करेंगे? ऐसे कई सवाल हैं, जिनका हल सरकार को पहले ढूंढना होगा उसके बाद ही सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की बात करें। जब तक सरकार इन मसलों को नहीं सुलझा लेती तब तक हम सीएनजी वाहन खरीदेंगे क्या? क्योंकि नीतियों से हमारा घर नहीं चलेगा।


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