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मुंबई : महाराष्ट्र में सूखा धीरे-धीरे एक विकराल रूप धारण करता जा रहा है। इससे निपटने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जहां एसी कमरे में बैठकर विडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर रहे हैं, वहीं विरोधी दल एनसीपी और कांग्रेस के कार्यकर्ता व पदाधिकारी खेत-खलियानों में उतरकर किसानों के साथ खड़े हो गए हैं। इधर, कोर्ट ने भी सरकार से पूछा है कि आखिर वह कर क्या रही है? महाराष्ट्र में सूखे को लेकर कार्यकर्ता संजय लाखे पाटील ने एक याचिका दाखिल की है। सोमवार को उस पर न्यायमूर्ति अजय गडकरी और न्यायमूर्ति एन.जे. जमादार की अवकाशकालीन पीठ सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता ने 2016 के आपदा प्रबंधन दिशा-निर्देशों के क्रियान्वयन की मांग की। उनकी मांग है कि राज्य के प्रत्येक जिले में स्वतंत्र आपदा प्रबंधन समितियां गठित की जाएं। दिशा-निर्देशों में सूखे समेत प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कई कदमों को सूचीबद्ध किया गया था। याचिका पर सुनवाई के दौरान पाटील ने अदालत के समक्ष रेकॉर्ड पेश किए कि राज्य के विदर्भ और मराठावाडा क्षेत्रों में बांधों और अन्य जलाशयों में पानी का स्तर कम हो गया है। अदालत ने कहा, ‘मुद्दा गंभीर है। हम राज्य सरकार से जानना चाहते हैं इस मुद्दे से निपटने के लिए सरकार क्या कर रही है?’ अगली सुनवाई 20 मई की होगी। 

सूखे के हालात को लेकर सरकार एसी कमरे से स्थिति को संभालने की कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री विडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर बाबुओं को आदेश पर आदेश दे रहे हैं, पर उनके आदेश का पालन सही तरह से हो रहा है कि नहीं, इस पर निगरानी नहीं के बराबर है। मुख्यमंत्री ने मनरेगा के तहत ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया कराने, जानवरों को चारा देने, पानी चोरी रोकने जैसे कदम उठाने का आदेश दिया है। संबंधित अधिकारियों को सूखा क्षेत्रों के प्रस्ताव तत्काल मंजूर करने के लिए कहा है। उन्होंने राज्य के सभी पालक मंत्रियों और पालक सचिवों को अपने-अपने जिले में जाने का फरमान जारी किया है। 

राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री व एनसीपी नेता अजित पवार ने मुख्यमंत्री के विडियो कॉन्फ्रेंसिंग का मजाक उड़ाते हुए कहा कि विडियो इससे समस्या हल नहीं होगी। राज्य के लोगों के सामने पीने के पानी का संकट पैदा हो गया है। जानवरों के चारे का प्रश्न खड़ा हो गया है। इस पर सरकार कुछ नहीं कर रही है। विपक्ष के तौर पर हमारे नेता शरद पवार सूखाग्रस्त राज्य का दौरा कर रहे हैं और दूसरी ओर मुख्यमंत्री गांवों में जाकर हालात का जायजा लेने के बजाय मुंबई के एसी दफ्तर में बैठकर विडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर रहे हैं। अजित पवार ने याद दिलाया कि इससे पहले भी उनके शासनकाल में इसी तरह से पानी की किल्लत पैदा हो गई थी। उस वक्त उनकी सरकार ने जमीन पर उतरकर किसानों की हर तरह से मदद की थी। अजित पवार ने आरोप लगाया कि राज्य में जब सूखा पड़ा है, तब इनके अधिकारी व मंत्री घूमने के लिए बाहर गए हैं। 

एनसीपी के बाद कांग्रेस भी सूखे का मुआयना करने के लिए मैदान में उतर गई। सोमवार और मंगलवार को विदर्भ, उत्तर महाराष्ट्र सहित अन्य विभागों में पार्टी के कार्यकर्ताओं ने किसान और मजदूरों से मुलाकात की। उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी हासिल की। इससे पहले महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण के नेतृत्व में पार्टी के पदाधिकारियों और विधायकों के साथ बैठक की। बैठक के बाद कांग्रेस के एक शिष्टमंडल ने राज्यपाल सी. विद्यासागर राव से मुलाकात कर एक ज्ञापन भी दिया था। चव्हाण ने फडणवीस सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार सूखे से निपटने में असफल हो रही है। किसानों को जो मदद मिलनी चाहिए, वह नहीं मिल रही है। 

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