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नई दिल्ली : चीन मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की प्रक्रिया को भारत में लोकसभा चुनावों के खत्म होने के बाद पूरी करना चाहता था। चीन की कोशिश थी कि किसी तरह से 15 मई के बाद ही यह प्रक्रिया हो। हालांकि, चीन की यह चालाकी काम नहीं आई और अमेरिका ने 30 अप्रैल की डेडलाइन तय कर दी। डेडलाइन को आगे बढ़ाने में नाकाम होने के कारण चीन को यह कदम उठाना पड़ा।
है कि फ्रांस, रूस और इंग्लैंड आपसी सहमति से चीन की डेडलाइन बढ़ाने पर सहमत हो गए थे। हालांकि, डेडलाइन बढ़ाने पर सहमति के बाद भी चीन जिस तिथि तक डेडलाइन को ले जाना चाह रहा था, उस पर सहमति नहीं बनी थी। हालांकि, अमेरिका की तरफ से अप्रैल में ही इस डेडलाइन को तय कर चीन की तरफ से लिखित आश्वासन के लिए दबाव बनाया गया था।
सूत्रों के हवाले से पता चला है कि भारत ने अमेरिका को यह संकेत दे दिए थे कि चीन की तरफ से वीटो इस्तेमाल के स्थान पर भारत कुछ समझौतों के साथ ही सही, लेकिन अब यह प्रक्रिया पूरी करना चाहता है। भारत चीन के फिर से वीटो प्रयोग करने के कारण अभीतक के सभी प्रयासों को खारिज करने के लिए तैयार नहीं था। इसके बाद अमेरिका ने अप्रैल के आखिरी सप्ताह से आगे इंतजार नहीं करने की बात दोहराई।
चीन ने संशोधित तिथि 6 मई की दी। हालांकि, अमेरिका ने इस पर सहमति नहीं जताई और आखिरकार 1 मई की डेडलाइन तय कर दी गई। इसी दिन मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कर दिया गया। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि पिछले सप्ताह ही चीन ने लिखित स्वीकृति दे दी थी। सूत्रों का कहना है कि चीन के साथ समझौता इस आधार पर हो सका क्योंकि चीन इसे यूएनएससी में वोट के लिए नहीं ले जाना चाहता था।



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