गढ़चिरौली में बुधवार को हुए आईईडी ब्लास्ट में सी-60 यूनिट के 15 जवान शहीद, के पी रघुवंशी ने बनाई थी C-60
मुंबई : महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में आईईडी ब्लास्ट में बुधवार को सी-60 यूनिट के 15 जवान शहीद हो गए। सी-60 को महाराष्ट्र के पूर्व डीजी के. पी रघुवंशी ने 30 साल पहले बनाया था। जवानों के शहीद होने की खबर से बुधवार को रघुवंशी बहुत ही दुखी थे। उन्होंने कहा कि पिछले साल हमने गढ़चिरौली में ही एनकाउंटर में 40 नक्सलियों को ढेर किया था। सी-60 यूनिट से जुड़े लोगों को उसके बाद से सुरक्षा को लेकर बहुत सावधानी बरतनी चाहिए थी और मानना चाहिए था कि नक्सली कभी न कभी उस एनकाउंटर की प्रतिक्रिया में खूनी वारदात कर सकते हैं। बुधवार की घटना से हम सभी को सबक सीखना चाहिए और आगे से हमारे साथी शहीद न हों, इसको लेकर हर तरह के एहतियात बरतना चाहिए।
सी-60 फोर्स देश की तमाम फोर्सस में सबसे बेहतरीन क्यों है, रघुवंशी ने इस संबंध में कुछ महीने पहले आए केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक आदेश का हवाला दिया। दरअसल, कुछ महीने पहले केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा ने सभी राज्यों के डीजीपी और केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के भी डीजी को एक चिट्ठी लिखी थी, जिसमें महाराष्ट्र के सी-60 कमांडो की तर्ज पर नक्सलियों के सफाए की रणनीति बनाने को कहा गया था। चिट्ठी में लिखा गया था कि नक्सलियों से लोहा लेने वाले सुरक्षा बलों को महाराष्ट्र की सी-60 कमांडो की तर्ज की तरह स्किल्स और अभ्यास करने की जरूरत है।
गढ़चिरौली में नक्सली हमला, 15 जवान शहीद
ऐसे बनी थी सी-60
सी-60 फोर्स कैसे बनी और इसका नाम सी-60 ही क्यों पड़ा, इसकी पृष्ठभूमि दरअसल 80 के दशक से जुड़ी हुई है। 1984 में के. पी रघुवंशी सोलापुर से ट्रांसफर होकर बतौर डीसीपी ठाणे आए। उस साल भिवंडी में सांप्रदायिक दंगे हुए थे फिर 1988 में ईद के दिन मांस के एक टुकड़े को लेकर कल्याण में काफी सांप्रदायिक तनाव फैल गया था। दोनों ही घटनाओं में रघुवंशी ने तनाव को हिंसा में बदलने नहीं दिया था। फिर जब ठाणे से वह मुंबई डीसीपी बनकर आए तब दशहरा रैली को लेकर चेंबूर में रमाबाई आंबेडकर नगर में काफी तनाव फैल गया। रघुवंशी ने चेंबूर में भी हालात को बहुत अच्छे तरीके से हैंडल किया। इससे तब के मुंबई पुलिस कमिश्नर सर्राफ खासे प्रभावित हुए। इसलिए कुछ महीनों बाद जब सर्राफ महाराष्ट्र के डीजीपी बने तो उन्होंने कल्याण, भिवंडी और चेंबूर में हालात को काबू पाने की रघुवंशी की काबिलियत की पृष्ठभूमि में उनका नवंबर, 1989 में गढ़चिरौली में ट्रांसफर कर दिया।
स्पेशल ऐक्शन प्लान
कुछ पारिवारिक कारणों से रघुवंशी ने करीब चार महीने बाद वहां जॉइन किया और सरकार और डीजीपी के साथ मिलकर गढ़चिरौली के लिए स्पेशल ऐक्शन प्लान बनाया। 100 करोड़ रुपये यहां के डिपलेपमेंट के लिए और बाकी पुलिस के अपग्रेडेशन के लिए दिए गए हैं। हालांकि, महाराष्ट्र में सत्ता बदल गई लेकिन इस ऐक्शन प्लान पर काम रुका नहीं। डीजी ने रघुवंशी को इस प्लान पर अमल के लिए खुली छूट दे दी। उसी दौरान रघुवंशी ने नोट किया कि ऐक्शन प्लान से जुड़े पुलिसकर्मियों का लोकल गढ़चिरौली पुलिस से कोई को-ऑर्डिनेशन नहीं हो पा रहा था। उनके पास सुविधाएं पहले से ही कोई नहीं थीं। वे लोग पुलिस की गाड़ियों में ही सोते थे।