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मुंबई : देश के भीतर एक राज्य से दूसरे राज्यों में आयोजित होने वाले सभा-समारोहों में आने-जाने पर होने वाले खर्च का हिसाब प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के पास नहीं है। यह बात एक आरटीआई में सामने आई हैं। जबकि प्रधानमंत्री के दौरों पर करोड़ों रूपये खर्च हो रहे हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सूचना के अधिकार के तहत पीएमओ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री परिषद के घरेलू और विदेश दौरों पर मई 2014 के बाद से आए खर्च की प्रकृति और विवरण की जानकारी देने का अनुरोध किया था।
पीएम के घरेलू दौरों का नहीं रखा जाता हिसाबः पीएमओ
इस आवेदन के जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय में अवर सचिव और सीपीआईओ प्रवीण कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री के घरेलू दौरों पर आए खर्च का रिकॉर्ड नहीं रखा जाता क्योंकि यह खर्च किसी एक प्राधिकार के दायरे में नहीं आते। ऐसे दौरे विभिन्न सार्वजनिक संगठनों द्वारा आयोजित किए जाते हैं। कुमार ने यह भी कहा कि चुनाव प्रचार से जुड़े प्रधानमंत्री के दौरे आधिकारिक नहीं हैं और पीएमओ को इन दौरों का कोई खर्च नहीं उठाना होता है ऐसे में विवरण नहीं दिया जा सकता। प्रधानमंत्री के विदेश दौरों और उन पर हुए खर्च को लेकर पीएमओ ने गलगली को सलाह दी कि वह विवरण प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट देखें।
किस मद से हो रहा पीएम पर खर्च, उठे सवाल
मंत्री परिषद के सदस्यों की विदेश यात्रा पर आए खर्च की जानकारी के संदर्भ में गलगली के आवेदन को पीएमओ ने मंत्रालयों को भेज दिया। गलगली ने कहा,‘पीएमओ की सलाह के बाद, पीएमओ का पोर्टल देखा गया, लेकिन प्रधानमंत्री के अनौपचारिक घरेलू दौरों और खर्च के बारे में कोई विवरण नहीं मिला।’ जबकि मोदी चुनावी रैलियों को संबोधित करने के लिए महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, असम और जम्मू-कश्मीर समेत कई राज्यों का धुंआधार दौरा कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर मोदी के इन दौरों पर कितना खर्च हो रहा है और यह खर्च किस मद से हो रहा है।


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