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मुंबई : स्थानीय अदालत ने बुधवार को जबरन वसूली मामले में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को भगोड़ा घोषित कर दिया है। परमबीर को 30 दिनों के भीतर कोर्ट में हाजिर होने का मौका दिया गया है। अगर वह समय पर हाजिर नहीं होते हैं तो उनकी संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। परमबीर कई महीनों से लापता है और मुंबई पुलिस ने उन्हें भगोड़ा घोषित करने के लिए अदालत में याचिका दायर की थी।
याचिका को स्वीकार करते हुए अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एसबी भजपले ने परमबीर के खिलाफ आदेश जारी किया है। इससे पहले, मुंबई और ठाणे की अदालतों ने भी परमबीर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। परमबीर के अलावा, पुलिस ने इसी मामले में दो अन्य आरोपित पुलिसकर्मियों रियाज भाटी और विनय उर्फ बबलू सिंह को भी भगोड़ा घोषित करने की मांग की हुई है।
तीनों के खिलाफ मुंबई के होटल व्यवसायी बिमल अग्रवाल ने शिकायत दर्ज कराई थी। मामले में पूर्व सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाझे भी आरोपित है। अग्रवाल ने आरोप लगाया था कि आरोपितों ने दो बार और एक रेस्तरां पर छापेमारी नहीं करने के लिए उनसे 11 लाख रुपये की वसूली की। उन्होंने दावा किया था कि ये घटनाएं जनवरी 2020 और मार्च 2021 के बीच हुई थी। सरकारी वकील की मानें तो अदालत के इस फैसले से जांच एजेंसियों को परमबीर सिंह को तलाशने में मदद मिलेगी।
उल्‍लेखनीय है कि मुंबई की एक मजिस्ट्रेट अदालत भी मरीन ड्राइव थाने में दर्ज रंगदारी के एक मामले में मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर चुकी है। अन्‍य अदालतों ने भी मुंबई के गोरेगांव और ठाणे जिले में दर्ज रंगदारी के दो अन्य मामलों में गैर-जमानती वारंट जारी किए हैं। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, परमबीर सिंह के खिलाफ अब तक तीन गैर-जमानती वारंट जारी किए जा चुके हैं।

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