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मुंबई, पहले कोरोना महामारी के कारण दुकानों को बंद रखे जाने से व्यापारियों पर आर्थिक मार पड़ी, उसके बाद महंगाई की मार झेल ही रहे हैं कि अब कपड़ा उद्योग के लिए लागू जीएसटी ५ प्रतिशत से १२ प्रतिशत करने का प्रस्ताव जीएसटी विभाग द्वारा तैयार किया गया है। इसको लेकर कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (वैâट) ने विरोध दर्शाते हुए जीएसटी की दर ५ प्रतिशत बरकरार रखने की मांग की है। सरकार ने अगर १२ प्रतिशत जीएसटी लगा दिया तो कपड़े में महंगाई की ‘आग’ लग जाएगी।
जीएसटी परिषद की हालिया बैठक में केंद्र सरकार ने जनवरी २०२२ से कपड़ा क्षेत्र से उल्टे शुल्क ढांचे को हटाने का और कपड़ा उद्योग पर जीएसटी को ५ प्रतिशत से बढ़ाकर १२ प्रतिशत करने का पैâसला किया है। इस विषय पर वैâट ने देशभर से कपड़ा उद्योग से जुड़े हुए संगठनों से सुझाव मंगवाए थे, जिसमें अधिकतर संगठनों द्वारा जीएसटी की दर ५ प्रतिशत बरकरार रखने पर सहमति हुई है। व्यापारी संगठनों के विरोध के बावजूद जीएसटी बढ़ाने की साजिश किए जाने की जानकारी वैâट के महानगर अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने दी है। उन्होंने बताया कि कपड़ा उद्योग में भुगतान की शर्तें छह महीने से भी अधिक समय तक की होती हैं। इसके अलावा उधारी का समय लंबा होने से खरीदार पार्टियों के पलायन के मामले होते हैं तो ऐसे में विक्रेता पार्टी का पैसा डूब जाता है। यदि ऐसी परिस्थितियों में उल्टे शुल्क ढांचे को हटा दिया जाता है तो व्यापारियों को अपना पैसा डालकर बकाया चुकाना होगा। इसके अलावा जीएसटी कर ढांचे में बदलाव से बुनाई उद्योग धराशायी हो सकता है। बुनकर उद्योग का यही कहना है कि जीएसटी कर ढांचे में कोई बदलाव नहीं किया जाना चाहिए।

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