पर्यावरण के संरक्षण की शुरुआत त्योहारों से
मुंबई, बढ़ते प्रदूषण, प्राकृतिक आपदाओं ने पर्यावरण के महत्व से सभी को अवगत करा दिया है। पर्यावरण के संरक्षण की शुरुआत हमारे त्योहारों से होती है। पर्यावरण के रक्षण को कुछ हद तक रोकने के लिए भक्त तेजी से पर्यावरण के अनुकूल मूर्तियों की ओर रुख कर रहे हैं। महाराष्ट्र में श्रावण मास से त्योहारों का सिसिला शुरू हो जाता है। इन सभी त्योहारों में से सभी का पसंदीदा त्योहार गणेशोत्सव है। श्रावण समाप्त होते ही सभी अपने प्रिय बाप्पा के आगमन के लिए बेताब होते हैं। मुंबईवासी अपने प्यारे बाप्पा के आगमन की तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ते। लेकिन कोरोना महामारी ने सभी समारोहों का चेहरा बदलकर रख दिया और ये बदलाव बाप्पा की मूर्ति से शुरू हो गए हैं। पिछले डेढ़ साल में मिट्टी की गणेश प्रतिमा खरीदने वालों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। वर्तमान में ईको प्रâेंडली का कांसेप्ट चलन में है। साथ ही ये मूर्तियां लोगों के लिए प्रतिबंधों का पालन करने के लिए सुविधाजनक हैं।
मूर्तिकार वीरेंद्र केलस्कर और उनके पिता सुरेंद्र केलस्कर का कहना है कि लोगों को उत्सव मनाते समय नियमों का पालन करना होता है लेकिन लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि अहम बात यह है कि इन प्रतिबंधों के साथ-साथ लोग इन बदलावों को सकारात्मक तरीके से स्वीकार भी कर रहे हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि इस कोरोना काल में यह अच्छी बात हुई है कि लोग पर्यावरण और प्रदूषण को लेकर अधिक ही जागरूक हुए हैं। उम्मीद है कि यह परंपरा आगे भी जारी रहेगी। युवाओं में यह रुझान अधिक देखने को मिल रहा है।
महालक्ष्मी के सात रास्ता की युवती गौरी राउल ने कहा कि ईको प्रâेंडली मूर्तियों से पर्यावरण के संरक्षण के साथ ही मूर्तियों को अपने घर के अंदर कंडाल के पानी में विसर्जित कर सकते हैं और उस पानी को वृक्ष में डाल देते हैं, इससे प्रदूषण भी नहीं होता है। इसके साथ ही जिस भगवान की हम पूजा करते हैं उनकी मूर्तियां आधी अधूरी अवस्था में दिखाई दे, यह बात भक्ति भावना को भी आहत करती है। गौरी का कहना है कि हमारे सर्कल में जितने युवा व युवती हैं, वे सभी ईको प्रâेंडली मूर्तियों को ही अपने घर पर लाते हैं और पूजा करते हैं। ईको प्रâेंडली मूर्तियों को विसर्जन करने की भी कोई समस्या नहीं रहती है, ऐसा गौरी का कहना है। इसी प्रकार नंदू भोसले आदि लोगों का कहना है कि ईको प्रâेंडली मूर्तियां ही गणेशोत्सव के दौरान घर में लाते हैं।