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पालघर, मछुआरों की जिंदगी मछलियों के सहारे ही चलती है। इसलिए दो वक्त की रोटी के बंदोबस्त के लिए हर मछुआरा रोज मछली पकड़ने समुद्र में जाता है। वैसे तो ज्यादातर मछुआरों की जिंदगी मुफलिसी में कटती है। मगर कभी-कभार चमत्कार भी हो जाते हैं। ऐसा ही चमत्कार पालघर में एक मछुआरे के साथ हुआ, जिससे उसकी किस्मत पलट गई। देखते-ही-देखते यह मछुआरा करोड़पति हो गया।
मिली जानकारी के अनुसार, पालघर जिले के मुरबे गांव में रहनेवाले मछुआरे चंद्रकांत तरे मानसून का प्रतिबंध हटाने के बाद २८ अगस्त को अपने ८ सहयोगियों के साथ मछली पकड़ने समुद्र में गए थे। १५ नॉटिकल दूर डहाणुु-वाढ़वन के समुद्र में हरबा देवी नाव से करीब २० से २५ जाल समुद्र में फेंके गए। जाल को समुद्र में छोड़े जाने के कुछ घंटों के बाद मछुआरों ने जब उसे बाहर निकाला तो उसमें करीब १२ से २५ किलो वजनी १५७ मिश्रित मछलियां मिलीं। नाव पर सवार सभी ये देखकर हैरान हो गए कि जाल में १५७ के करीब घोल मछलियां फंस गई हैं। इतनी बड़ी संख्या में घोल मछलियों को देख सभी खुशी से झूम उठे। इसके बाद किनारे आने पर जब मछली की बोली लगाई गई तो १ करोड़, ३३ लाख रुपए के करीब उसकी बोली लगी। घोल मछली काफी लाभकारी होती है, जिसका इस्तेमाल दवा बनाने में भी किया जाता है। चंद्रकांत के बेटे सोमनाथ के मुताबिक घोल मछली के पेट मे एक थैली होती है, जिसकी बहुत मांग है। इस वजह से एक मछली की कीमत हजारों रुपयों में होती है। घोल मछली को ‘सोने का दिल’ के नाम से भी जाना जाता है। घोल नामक यह एक विशेष प्रकार की मछली है, जिसकी हांगकांग, मलेशिया, थाईलैंड और अन्य देशों में बहुत मांग है। इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन, दवाओं और सर्जरी के धागे के निर्माण में होता है। नर घोल को अधिक कीमत मिलती है, जबकि मादा घोल की कम।



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