एसी लोकल में यात्री नहीं! १५ दिन में नहीं बिके १,००० पास
मुंबई, दो डोज ले चुके लोगों के लिए लोकल ट्रेनों का परिचालन शुरू हो चुका है। धीरे-धीरे ही सही लोकल ट्रेन के यात्री बढ़ रहे हैं। रेलवे को उम्मीद थी कि इसी तरह एसी लोकल के यात्रियों में भी इजाफा होगा और एसी लोकल भी अपनी यात्री क्षमता के साथ ट्रैक पर आ जाएगी। लेकिन देखा जा रहा है कि एसी लोकल से यात्री ‘कट’ रहे हैं यानी दूर हो रहे हैं। ११ अगस्त से २९ अगस्त तक करीब ४ लाख सीजन टिकट बिके, लेकिन इसमें एसी लोकल के लिए बमुश्किल हजार सीजन टिकट की बिक्री भी नहीं हुई। पश्चिम और मध्य रेलवे को मिलाकर रोजाना २२ सेवाएं एसी लोकल की चलती हैं लेकिन इनमें यात्री दिखाई नहीं देते हैं।
एसी लोकल सबसे पहले पश्चिम रेलवे पर ही चली थी और इसका लाभ भी इसी रूट के यात्री उठाते हैं। ११ अगस्त से २८ अगस्त तक करीब सवा लाख सर्टिफाइड यात्रियों ने सीजन टिकट खरीदे, इनमें से १७.५ हजार यात्रियों ने प्रथम श्रेणी और ६०६ यात्रियों ने एसी लोकल के टिकट खरीदे। इस दौरान मध्य रेलवे पर करीब २.७५ लाख यात्रियों ने सीजन टिकट खरीदे लेकिन सूत्रों के अनुसार करीब २०० सीजन टिकट ही एसी लोकल के लिए बिके। मध्य रेलवे पर एसी लोकल की शुरुआत पिछले साल लॉकडाउन के दौरान ही हुई थी।
भीड़ के कारण मुंबई में यात्री ट्रेनों से गिरकर मरते हैं। इन दुर्घटनाओं को टालने के लिए रेलवे ने बंद दरवाजों की एसी लोकल का प्लान बनाया था। योजना के अनुरूप मुंबई अर्बन ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (एमयूटीपी) में ४७ रैक खरीदने की भी मंजूरी मिल गई। अभी कारशेड में दस से ज्यादा एसी ट्रेनें पड़ी हैं लेकिन इन्हें चलाने के लिए कोई प्लान नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि एसी लोकल को यात्रियों का प्रतिसाद नहीं मिल रहा, जबकि जो लोग एसी लोकल का टिकट खरीदते हैं उनका कहना है कि पर्याप्त सर्विस नहीं होने के कारण रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा।
अभी मध्य रेलवे में सीएसएमटी से कल्याण और पश्चिम रेलवे में चर्चगेट से विरार के बीच एसी लोकल की सेवाएं चलाई जा रही हैं। रेलवे को यदि बिजनेस चाहिए तो पीक आवर्स में ज्यादा सेवाएं चलानी होंगी लेकिन मौजूदा शेड्यूल से छेड़छाड़ करना भी खतरनाक है। एसी लोकल के एक और रैक को शामिल करने का मतलब है १०-१२ सामान्य सेवाओं की बलि देना। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार सबसे बड़ी समस्या भी यही है कि मौजूदा किसी सामान्य लोकल के टाइमटेबल को नहीं बिगाड़ा जा सकता है, ऐसा करने पर यात्रियों का विरोध भी झेलना पड़ता है।
कुछ अधिकारियों ने सुझाव दिया कि यदि मौजूदा लोकल में ही फर्स्ट क्लास के डिब्बों को धीरे-धीरे एसी डिब्बों से रिप्लेस करें तो बात बन सकती है। सामान्य लोकल सेवाएं प्रभावित न हों, इसके लिए सेमी एसी लोकल चलाने की योजना बनाई गई। इसमें आधे डिब्बे द्वितीय श्रेणी के होंगे तो आधे डिब्बे वातानुकूलित होंगे। बहरहाल, पश्चिम रेलवे को जो एसी लोकल रैक मिले हुए हैं, उन्हें ही सेमी एसी लोकल में बदलने के प्रयास किए जा रहे हैं। इन्हें तैयार करने के बाद पहले सॉफ्टवेयर टेस्टिंग होगी। इसके बाद ट्रैक पर ट्रायल होंगे। एक अधिकारी ने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया में ६-७ महीने लग जाएंगे। इसके अलावा, ट्रायल सफल होने पर ही इस तरह की सर्विस चलाई जाएगी।