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मुंबई, टीवी पर प्रसारित होने वाले अपराध विशेष धारावाहिकों से सबक लेकर लोग अपराध करने और उसे छुपाने की आइडिया लेते हैं। शायद यहीं से आइडिया लेकर एक प्रेमी ने अपनी नाबालिग प्रेमिका के भाई को उसकी बहन के बलात्कार केस में फंसा दिया। बहन ने भी पुलिस स्टेशन में अपने भाई पर बलात्कार का मामला दर्ज करवा दिया। जेल में बंद बेगुनाह भाई किसे दुहाई देता, जब उसकी बहन ने ही उस पर खुद के साथ रेप करने और उसका बच्चा पेट में होने की शिकायत दर्ज करा दी। लेकिन भला हो वकील दंपति पीयूष और ज्योति बरई का, जिन लोगों ने एक महीने के भीतर ही दूध का दूध और पानी का पानी कर बेगुनाह भाई को बाहर निकाल लिया और असली आरोपी को जेल की सलाखों के पीछे धकेल दिया। कोर्ट ने भी इनकी दलीलों को प्राथमिकता दी। सभी प्रक्रिया फास्ट ट्रैक की तरह की गई।
जानकारी के अनुसार सायन कोलीवाड़ा क्षेत्र में एक १५ वर्षीय नाबालिग लड़की सुनीता (बदल हुआ नाम) गर्भवती हो गई। इस बात की जानकारी मिलते ही उसके परिजनों ने अंटॉपहिल पुलिस में १५ जून २०२१ को एक एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें उस लड़की ने अपने ही भाई के ऊपर बलात्कार का आरोप लगा दिया। अब पुलिस ने भी एफआईआर के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और जांच-पड़ताल शुरू कर दी। लेकिन परिजनों को लड़की के बयान पर भरोसा नहीं हुआ। उन्होंने वकील दंपति ज्योति बरई व पीयूष बरई को इस मामले की पूरी जानकारी देते हुए मदद की गुहार लगाई। वकील दंपति ने भी इस मामले पर काम शुरू किया। २० दिन के बाद जब सच सामने आया तो सब भौचक्के रह गए। मामले में नया मोड़ सामने आया कि दुष्कर्म का आरोपी लड़की का भाई नहीं बल्कि उसका पड़ोसी है। दरअसल वकील ज्योति इस मामले में आरोपी भाई का डीएनए टेस्ट की मांग कोर्ट के समक्ष रखी, इसके साथ उसके पड़ोसी युवक की डीएनए जांच भी कराई गई। पड़ोसी युवक का डीएनए उस गर्भवती के पेट में पल रहे बच्चे से मैच कर गया और भाई का डीएनए अलग निकला। इस रिपोर्ट को देखते हुए मुंबई सेशन कोर्ट की न्यायाधीश प्रीति कुमार घुले ने भाई को बाइज्जत बरी कर दिया है और आरोपी पड़ोसी को तुरंत गिरफ्तार करने का निर्देश दिया।


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