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मुंबई, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने गुरुवार को कहा कि आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला ने फोन टैपिंग की अनुमति मांगते समय सरकार को गुमराह किया था। बता दें कि एक दिन पहले यानी बुधवार को रश्मि शुक्ला ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया था कि महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें पिछले साल पुलिस तबादले और नियुक्तियों में भ्रष्टाचार की शिकायतों की पुष्टि करने के लिए कुछ फोन नंबरों को इंटरसेप्ट करने की अनुमति दी थी।
रिपोर्ट के अनुसार एनसीपी नेता मलिक ने कहा कि शुक्ला ने फोन टैप करने की अनुमति मांगने के लिए देशद्रोह का हवाला दिया था। उन्होंने आगे कहा कि यह अनुमति सरकार को गुमराह करते प्राप्त की गई थी। बता दें कि रश्मि शुक्ला 1988 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। वहीं, इस साल की शुरुआत में महाराष्ट्र सरकार के एक मंत्री ने दावा किया था कि रश्मि शुक्ला के भाजपा के साथ करीबी संपर्क हैं।
नवाब मलिक ने कहा, उन्होंने फोन टैपिंग की अनुमति देशद्रोह और राष्ट्र हित का हवाला देते हुए मांगी थी, लेकिन इसके स्थान पर उन्होंने (भाजपा के) राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के फोन कॉल टैप किए। वहीं, शुक्ला के अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया था कि जब वह राज्य खुफिया विभाग की प्रमुख थीं, तब महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने उन्हें कुछ फोन नंबरों पर निगरानी रखने का निर्देश दिया था।
अदालत रश्मि शुक्ला की ओर से दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में मुंबई पुलिस की साइबर सेल द्वारा शुक्ला के खिलाफ अवैध फोन टैपिंग और कथित तौर पर संवेदनशील दस्तावेजों को लीक करने के आरोप में दर्ज की गई एफआईआर को चुनौती दी गई है। शुक्ला ने पहले कहा था कि पिछले साल कमिश्नर (राज्य इंटेलिजेंस) रहते हुए उन्हें मनचाही नियुक्ति और तबादलों को लेकर नेताओं और पुलिस अधिकारियों के बीच भ्रष्टाचार की सूचना मिली थी।



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