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मुंबई : प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने  प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से सवाल किया है कि यदि बार मालिकों से कथित रूप से वसूला गया पैसा तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख को दिया गया था तो ईडी ने अभी तक बार मालिकों को रिश्वतखोरी के आरोप में क्यों नहीं पकड़ा?   सावंत ने सवाल किया कि यदि तत्कालीन पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को सचिन वझे को प्रति माह 100 करोड़ रुपए वसूलने के कथित आदेश की जानकारी थी, तो समय पर कोई कार्रवाई नहीं करने पर उनसे पूछताछ क्यों नहीं की जा रही है? उन्होंने कहा कि देशमुख की ईडी की राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार को बदनाम करने और अस्थिर करने के लिए एक राजनीतिक चाल थी। सावंत ने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी की कार्यपद्धति सुशांत सिंह राजपूत प्रकरण में भी दिखाई दी। इसी तरह की कार्यपद्धति ईडी ने भी अपनाई है। उन्होंने कहा कि ईडी ने अनिल देशमुख की कंपनी की उरण स्थित जमीन की जांच कर रहा है, जिसकी कीमत 300 करोड़ रुपए है। इस तरह की खबरें आई थी। ईडी ने संपत्ति जब्त करते हुए बताया कि यह जमीन वर्ष 2005 में खरीदी गई थी और इसकी कीमत 2.67 करोड़ रुपए है, तब ईडी ने समय पर उत्तर क्यों नहीं दिया। यदि ईडी द्वारा जब्त किए गए फ्लैट की कीमत 2004 में दी गई थी, तो इस मामले में उस फ्लैट को कैसे जोड़ा जा सकता है?


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