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मुंबई, महाराष्ट्र में मंगलवार को शैक्षणिक वर्ष शुरू होते ही स्टूडेंट्स नहीं बल्कि शिक्षकों के लिए फिजिकली स्कूल जाना अनिवार्य कर दिया गया है. इस संबंध में महाराष्ट्र सरकार ने एक सर्कुलर भी जारी किया है. सर्कुलर के मुताबिक कक्षा 1 से नौवी तक के 50% शिक्षकों का स्कूलों में जाना अनिवार्य है. हालांकि सर्कुलर में यह नहीं बताया गया है कि स्कूलों में शिक्षकों से क्या काम लिया जाएगा, लेकिन प्रिंसिपल ने कहा कि वे टीचर्स को कक्षाओं से ऑनलाइन लेसन लेने के लिए कह सकते हैं.
वहीं 11वीं कक्षा के लिए लेक्चरर्स /प्रोफेसरों की शत-प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है. राज्य यह भी चाहता है कि दसवीं और बारहवीं के सभी शिक्षक अपने स्कूलों और कॉलेजों में सेकेंडरी स्कूल सर्टिफिकेट (एसएससी) और हायर सेकेंडरी स्कूल (एचएससी) के परिणाम घोषित करने के लिए असेसमेंट कार्य करें. गौरतलब है कि दसवीं कक्षा के लिए मूल्यांकन कार्य प्रगति पर है. शिक्षकों को 20 जून तक अंकों का टैबुलेशन पूरा करना है. प्रत्येक स्कूल में रिजल्ट कमेटी के पास टैबुलेशन मार्क्स अपलोड करने के लिए 30 जून तक का समय है. परिणाम जुलाई के मध्य में आने की उम्मीद है. वहीं बारहवीं कक्षा के लिए राज्य को अभी भी मार्किंग प्रोसेस की घोषणा करनी है.
शिक्षण संस्थानों के सभी क्लेरिकल स्टाफ को भी स्कूलों को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया है.  हालांकि, काम पर आने के लिए लंबी दूरी तय करने वाले कई शिक्षकों ने लोकल ट्रेन का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं मिलने पर नाराजगी जताई है. सोमवार को एमएमआर के शिक्षकों ने स्कूलों के लिए बिना टिकट यात्रा करके प्रोटेस्ट किया और स्वेच्छा से जुर्माना भी भरा. शिक्षकों ने ट्रेनों में सवार होने की उनकी मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन तेज करने की धमकी दी है.
वहीं टीचर्स डेमोक्रेटिक फ्रंट के उपाध्यक्ष राजेश पंड्या ने कहा कि सहायता प्राप्त स्कूलों को पिछले साल से सरकारी अनुदान नहीं मिला है. “शिक्षक कैसे स्कूल आएंगे और ऑनलाइन पढ़ाएंगे. स्कूलों में पर्याप्त नेट कनेक्टिविटी भी नहीं है. "

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