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मुंबई : दाखिले और नौकरियों में मराठाओं के लिए आरक्षण से संबंधित महाराष्ट्र का कानून उच्चतम न्यायालय से खारिज हो जाने पर राज्य के मंत्री अशोक चव्हाण ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर 'समुचित अधिकार' के बिना 2018 में एसईबीसी कानून पारित करने का आरोप लगाया। शीर्ष अदालत ने इस कानून को 'असंवैधानिक' करार देते हुए खारिज कर दिया और कहा कि 1992 में मंडल फैसले के तहत निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा के उल्लंघन के लिए कोई असाधारण परिस्थिति नहीं है। मराठा आरक्षण पर राज्य की उपसमिति के अध्यक्ष चव्हाण ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, केंद्र सरकार के 102 वें संशोधन ने मराठा समुदाय को आरक्षण देने के फैसले (अधिकार को) छीन लिया है जिसके कारण, पिछली फड़णवीस सराकर ने जो एसईबीसी कानून बनाया, उसे उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, जब आपके पास ऐसे अधिकार न हो तब कानून पारित करना तत्कालीन मुख्यमंत्री फडणवीस द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा एवं विधानपरिषद को गुमराह करने जैसा है। यह लोगों को गलत जानकारी देकर उन्हें ठगने जैसा है। नौकरियों एवं दाखिले में मराठाओं को आरक्षण देने के लिए 2018 में एसईबीसी (सामाजिक एवं शैक्षणिक पिछड़ा समुदाय) अधिनियम पारित किया था।


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