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मुंबई : करीब ढाई साल पुराने एक बलात्कार मामले की जांच को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस को फटकार लगाई है. हाईकोर्ट ने पुलिस को नाबालिग रेप पीड़िता को ढूंढकर लाने को कहा है. आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जब कोर्ट ने पुलिस से जब पूछा कि पीड़िता कहां है? तो पुलिस ने कहा कि वो अभी भी रेलवे प्लेटफॉर्म पर नजर आती है. इस पर कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि क्या जांच करने वालों को कानून के बारे में भी नहीं पता. ऐसे कैसे किसी रेप पीड़िता को छोड़ दिया गया, जबकि उसे पुनर्वास गृह ले जाना चाहिए था. 

मामला 2018 का है. उस समय मुंबई में एक चलते ऑटो में दो लोगों ने एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार किया. इस मामले में जून 2018 में एक राहगीर ने एफआईआर दर्ज कराई थी. पुलिस एफआईआर के मुताबिक, राहगीर ने एक ऑटो से लड़की के चीखने-चिल्लाने की आवाजें सुनी थीं. ऑटो के चारों तरफ काले पर्दे लगे थे. राहगीर ने जब ऑटो को रोका तो देखा कि एक व्यक्ति लड़की के साथ जबरदस्ती कर रहा है. इसके बाद ट्रैफिक पुलिस की मदद से आरोपियों को पकड़ा गया था. 

उस समय पीड़ित लड़की ने अपनी उम्र 16 साल बताई थी. घटना के अगले दिन पीड़िता को आरएन कूपर म्युनिसिपल जनरल अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उसने भर्ती होने से मना कर दिया. हालांकि, 2 जुलाई 2018 को लड़की को भर्ती किया गया और 8 दिन बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया. डिस्चार्ज रिपोर्ट से पता चला था कि लड़की का पहले एबॉर्शन हो चुका था. साथ ही उसके साथ यौन शोषण होने की बात भी सामने आई थी.

जब जस्टिस डांगरे ने पूछा कि लड़की इस वक्त कहां है? तो इस पर इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर ने बताया कि लड़की को अभी भी अंधेरी रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर-1 पर देखा जाता है. इस पर जज भड़क उठी और फटकार लगाते हुए कहा, "ये बहुत ही हैरान करने वाली बात है कि जिस लड़की के साथ बलात्कार हुआ, उसे आपने रेलवे प्लेटफॉर्म पर ही छोड़ दिया. हमारे यहां कानून हैं. कुछ जिम्मेदारियां है, जिससे सुनिश्चित हो सके कि किसी के साथ भी कोई शोषण न हो. लेकिन ऐसा लगता है कि इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर को कानून के बारे में जानकारी ही नहीं है. पीड़ित लड़की को सुधार गृह या पुनर्वास गृह नहीं ले जाया गया. लड़की नाबालिग थी, तो जुवेनाइन जस्टिस बोर्ड की मदद लेनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं किया गया." 

आरोपी पिछले 33 महीने से जेल में बंद है, इसलिए उसने जमानत के लिए याचिका लगाई थी. हालांकि, जस्टिस डांगरे ने उसकी याचिका खारिज करते हुए कहा कि जब तक पूरी पिक्चर साफ नहीं हो जाती, तब तक रुकिए. जस्टिस ढांगरे ने कहा, "क्योंकि कोर्ट में इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर मौजूद हैं, तो ऐसे में उम्मीद है कि पीड़ित लड़की का पता लगाने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाए जाएंगे. अगर लड़की की उम्र को लेकर कोई सही दस्तावेज नहीं हैं, तो उसकी सही उम्र का पता लगाने के लिए उसका टेस्ट कराया जाना जरूरी है." 


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