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मुंबई : महाराष्ट्र में कोरोना के रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, राज्य सरकार प्रदेश में सप्ताहांत लॉकडाउन सहित कुछ प्रतिबंध लगा रही है, लेकिन आम आदमी को होने वाले वित्तीय नुकसान का क्या होगा और इससे सामान्य लोगों को होनेवाले नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार आर्थिक सहायता की घोषणा क्यों नहीं करती? भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत दादा पाटिल ने राज्य सरकार से यह सवाल किया है। लॉकडाउन व विभिन्न प्रतिबंधों पर राज्य सरकार के निर्णय की पृष्ठभूमि में रविवार को पाटिल कहा कि कोरोना रोकने में सरकार फेल रही है एवं कोरोना से पैदा हुए खराब हालात में लोगों की सहायता करने में तो वह और भी फेल रही है। कोरोना की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने के लिए, राज्य सरकार ने रविवार को सप्ताहांत लॉकडाउन व रोजमर्रा की जिंदगी पर कुछ प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है, जिसमें रात 8 बजे के बाद कफ्र्यू भी शामिल है। भाजपा अध्यक्ष पाटिल ने कहा है कि राज्य सरकार के इस फैसले से आम आदमी, रोज कमाने, खानेवालों व जरूरतमंद लोगों को भारी आर्थिक नुकसान होने वाला है। जो लोग दिन भर कमाते हैं और उसी कमाई से शाम को खुद खाते हैं व अपने परिवार को खिलाते हैं, उनको अपनी जिंदगी की गाड़ी चलाने में मुश्किलें आएंगी, क्योंकि लॉकडाउन व प्रतिबंधों से सबसे पहले उनको ही बड़ा आर्थिक नुकसान होगा। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पाटिल ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस से सहयोग की अपील की थी। चूंकि मुख्यमंत्री राज्य के प्रमुख होते हैं, इसलिए उनके फैसले को स्वीकार करना होता है, लेकिन इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस द्वारा दी गई सलाहों को भी सरकार को मानना चाहिए एवं राज्य सरकार द्वारा जारी बिजली कटौती आदेश को स्थगित करना चाहिए। .

इसके अलावा, राज्य सरकार के विभिन्न प्रतिबंधों के कारण फेरीवालों, गृहिणियों, रिक्शा चालकों आदि को जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई के लिए सरकार को उन्हें आर्थिक सहायता की घोषणा क्यों नहीं करती है? पाटिल ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भले ही यह कहा कि सरकार की प्राथमिकता कोरोना से लोगों की सुरक्षा करना है, लेकिन पाटिल ने यह सवाल भी किया कि कोरोना से लोगों की रक्षा करते हुए, जो रोजगार का नुकसान हो रहा है व उससे पैदा हुई भुखमरी से जो लोग मर गए, इसके लिए कौन जिम्मेदार है?


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