देसी तेलों का अब नहीं होगा टेस्ट, व्यापारियों को राहत
ठाणे : व्यापारी वर्ग से जुड़ी विभिन्न तरह की समस्याओं का समाधान करने में जुटी रहनेवाली अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ को एक और सफलता हाथ लगी है। जीवन आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ कानून को निरस्त करवाने तथा एफएसएसएआई के कई प्रावधानों में जरूरी बदलाव कराने में सफल रहे संगठन द्वारा बैलियर टर्बीडिटी टेस्ट को हटाने की मांग सरकार ने मंजूर कर ली है। महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर भाई ठक्कर ने बताया कि सरसों, तिल व मूंगफली तेल जैसे हमारे देसी तेल सभी मापदंडों पर खरे उतरने के बावजूद बीडीटी परीक्षण में फेल हो रहे थे। इसकी वजह से व्यापारी वर्ग देसी तेल के व्यापार से कतराने लगे थे।
साल दर साल तिलहन के उत्पादन पर इसका असर पड़ा। हमें आयातित तेलों पर निर्भर होना पड़ा। सरकार को खाद्य तेल के आयात में विनिमय का बहुत बड़ा घाटा उठाना पड़ रहा था। लिहाजा, महासंघ ने इस विषय पर सरकार से गंभीरतापूर्वक विचार करने का बार -बार निवेदन किया। केंद्र सरकार की वैज्ञानिक समिति के समक्ष इस विषय को रखा गया और बताया गया था कि परीक्षण के मापदंड बहुत पुराने हो चुके हैं। मिट्टी, बीज, खाद तथा पानी में कई तरह के परिवर्तन आ चुके हैं। इनके अनुरूप परीक्षण के नए आयाम स्थापित करने चाहिए। महासंघ की इस मांग को सरकार ने मान लिया है और अब देशी तेलों में बीडीटी टेस्ट को हटा दिया है। अब व्यापारी निश्चिंत होकर व्यापार कर सकेंगे। संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण जैन ने देसी तेलों के व्यापार को बढ़ावा देने की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम का स्वागत किया है।